अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा होने के बाद भारतीय मुस्लिमों के कुछ सामने आए बयानों पर बॉलीवुड एक्टर नसीरुद्दीन शाह ने हाल में टिप्पणी की थी, जो कि खूब वायरल हुई थी। अब उन्होंने बताया है कि कैसे बॉलीवुड के कुछ बड़े फिल्ममेकर्स और एक्टर्स को प्रो-इस्टैब्लिशमेंट्स फिल्में बनाने के लिए इनकरज किया जाता है।
नसीर ने कहा कि हालांकि उनके पास इस बात के सबूत नहीं हैं कि प्रोपेगैंडा फिल्में बनाने के लिए फिल्ममेकर्स और एक्टर्स को क्लीन चिट देने का वादा किया जाता है या नहीं, लेकिन उन्हें लगता है कि जिस तरह की आजकल फिल्में बन रही हैं, उससे यह स्पष्ट है।
नसीरुद्दीन ने कही यह बात
नसीरुद्दीन ने कहा उन्हें सरकार द्वारा, सरकार समर्थक और प्रिय नेताओं की कोशिशों की तारीफ करते हुए फिल्में बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्हें इसके लिए आर्थिक रूप से भी मदद दी जा रही है। इसके साथ ही अगर वे प्रोपेगैंडा फिल्में बनाते हैं तो क्लीन चिट का भी वादा किया जाता है। ऐसा बार-बार होता है। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा कि जिस तरह के बड़े बजट की फिल्में आ रही हैं. बड़े लोग कट्टरवाद के एजेंडे को नहीं छिपा सकते हैं।
तीन बार नेशनल अवॉर्ड विनर नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि उन्होंने कभी भी मुस्लिम होने के लिए इंडस्ट्री में कोई भेदभाव महसूस नहीं किया। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि इंडस्ट्री में एक्टर्स को अपने मन की बात कहने के लिए परेशान किया जाता है। वहीं, इस बारे में बात करते हुए कि मशहूर ‘तीन खानों‘ ने चुप रहने का फैसला क्यों किया, नसीरुद्दीन ने कहा कि वह उनके लिए बोल नहीं सकते, लेकिन वह कल्पना कर सकते हैं कि उनका कितना उत्पीड़न किया जाएगा। उन्होंने कहा वे तीनों खान इस बात से चिंतित हैं कि उन पर किस तरह का अत्याचार होगा। उनके पास खोने के लिए बहुत कुछ है। इसलिए चुप रहते हैं।
नसीरुद्दीन ने कहा कि यह सिर्फ आर्थिक रूप से किया गया उत्पीड़न नहीं होगा। साथ ही न तो यह किसी एंडोर्समेंट को खोने वाला उत्पीड़न होगा। बल्कि यह उनके पूरे इस्टैब्लिशमेंट्स को परेशान करने की बात होगी। उन्होंने कहा कि जो भी बोलने की हिम्मत करता है उसे प्रताड़ित किया जाता है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ जावेद साहब या मैं नहीं हूं, यह कोई भी है जो इस दक्षिणपंथी (राइट-विंग) मानसिकता के खिलाफ बोलता है और यह दोनों तरफ बढ़ रहा है।
ज्ञात हो कि नसीरुद्दीन शाह लगभग पांच दशकों से इंडियन फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा हैं और ‘निशांत‘, ‘आक्रोश‘, ‘मिर्च मसाला‘, ‘अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है‘, ‘जुनून‘, ‘मंडी‘, ‘अर्ध सत्य‘, ‘जाने भी दो‘ जैसी कुछ बेहतरीन फिल्में भी की हैं। उन्हें उनकी फिल्मों के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है।