भारत में अनेकों तरह के त्योहार मनाए जाते हैं. इनमें से एक त्योहार करवा चौथ (Karwa chauth 2020) भी है. जिसकी धूम देशभर में देखने को मिलती है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए माता करवा का व्रत करती हैं. हर साल ये दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी में पड़ता है. जिस दिन महिलाएं बिना खाए-पिए निर्जला उपवास करती है. सूर्योदय होने के साथ ही महिलाएं व्रत का संकल्प लेती हैं, इसके बाद रात में जब चंद्रमा का उदय होता है, तो उन्हें अर्घ्य देने के बाद महिलाएं पति के हाथ से पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं. व्रत तोड़ने के बाद ही महिलाएं अन्न ग्रहण करती हैं. ऐसे में आज हम आपको करवा चौथ के खास मौके पर इस व्रत की पूजन विधि, इसके नियम और पूजा के शुभ मुहूर्त के बारे में बताने जा रहे हैं.
करवा चौथ गणपति बप्पा से संबंधित है. कहते हैं कि विवाहित जीवन में किसी तरह का विघ्न न आए इसके लिए महिलाएं भगवान गणेश, मां गौरी और चंद्रमा की पूजा करते हैं. चंद्रमा को उम्र, सुख और शांति की वजह माना जाता हैं. यही कारण है कि चंद्रमा की पूजा करके महिलाएं वैवाहिक जीवन मैं सुख शांति और पति की लंबी आयु की प्रर्थना करती हैं. करवा चौथ के दिन पूजा करने के लिए पहले थाली को अच्छे से सजा लें.इसके साथ ही थाली मैं दीपक, सिन्दूर, अक्षत, कुकुम, रोली और चावल की बनी हुई मिठाई या फिर कोई सफेद मिठाई रखें. पूरा श्रृंगार करने के बाद करवे में जल भर लें. उसके बाद मां गौरी और गणेश की पूजा करें. फिर चंद्रमा के उदय होने पर छलनी से भगवान चंद्रमा को देखें. इसके बाद अर्घ्य देकर मां करवा चौथ के व्रत की कथा सुनें.
इसके साथ ही आपको बता दें कि इस बार करवा चौथ के दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 33 मिनट पर शुरू होगा और 6 बजकर 39 मिनट पर खत्म होगा. इस दौरान माता करवा की कथा सुनने के बाद अपने पति की लंबी उम्र के लिए भगवान से प्रार्थना करें.साथ ही पूजा में श्रृंगार के सामान का दान करें और अपनी सासू मां से पूजा के बाद आशीर्वाद लें. याद रहे कि ये व्रत सिर्फ सुहागिनें महिलाएं या फिर जो नए रिश्ते में बंधने वाली हैं वही उपवास रख सकती हैं. यही नहीं व्रत के दिन काले या फिर सफेद रंग का वस्त्र भूलकर भी न पहनें. साथ ही यदि आपको लगता है कि आप उपवास नहीं कर सकती हैं तो इसका व्रत न रखें.
पूजा करते समय मां गौरी का आशीर्वाद लेते हुए श्रृंगार करें. श्रृंगार में सिन्दूर, मंगलसूत्र और बिछिया पहनना न भूलें. हाथों पैरों में मेहंदी या फिर आलता जरूर लगाएं.साथ ही अगर अर्घ्य देते वक्त आपके विवाह की चुनरी हो तो उसे जरूर सर पर डालें. कहते हैं कि ऐसे करने से मां की कृपा हमेशा बनी रहती हैं.