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ताली बजाने पर रहस्यमयी कुंड से निकलता है पानी, जल्द ठीक हो जाती हैं चर्मरोग से सम्बन्धित सभी बीमारियां

भारत में ऐसी कई जगहें हैं, जो रहस्य से भरी हुई हैं। भारत में कई ऐसी रहस्यमयी जगहें हैं, जहां की पहेलियां अभी तक नहीं सुलझ पायी हैं। रहस्यमयी जगहों में से एक है दलाही कुंड। झारखण्ड के बोकारो में स्थित एक ऐसा कुंड, जहां से ताली बजाने पर पानी बाहर निकलता है। दलाही कुंड अपने रहस्यमयी चमत्कारों के लिए अक्सर सुर्खियों में बना रहता है।

कहा जाता है कि इस कुंड के सामने खड़े होकर ताली बजाने से पानी बाहर निकलता है। इतना ही नहीं कहा तो यह भी जाता है कि इस कुंड का पानी बेहद गर्म होता है जैसे अभी-अभी उबाल कर रखा गया हो। दलाही कुंड का पानी जमुई नाम के नाले से होता हुआ गरगा नदी में जाता है।

शोध के अनुसार ऐसी जगहों पर पानी काफी नीचे होता है। ऐसे में ताली बजाने पर ध्वनि तरंगों से पानी पर असर पड़ता है और वो ऊपर की तरफ आ जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस कुंड में नहाने से मन्नतें पूरी होती हैं। लोग दूर-दूर से इस अनोखे कुंड में नहाने के लिए आते है। आस-पास के इलाकों में रहने वाले लोगों का कहना है कि चर्मरोग से सम्बंधित सभी बीमारियों को इस कुंड का पानी दूर करता है। यह स्थान बोकारो से करीब 27 किमी दूर जगासुर में है। कुंड के निकट दलाही गोसाईं देव का एक स्थान भी है। हर रविवार को श्रद्धालु उनके दर्शन-पूजन के लिए आते हैं। वहीं यहां पर मकर संक्रांति को मेला भी लगता है। स्थानीय लोगों के मुताबिक 1984 से ही यहां मेले का आयोजन किया जा रहा है। इसके अलावा मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में भीमकुंड है, जो रहस्यों से भरा हुआ है।

भीमकुंड के बारे में कहा जाता है कि, यह भीम के गदा के प्रहार से बना था। मान्यताओं के अनुसार जब अज्ञातवास के समय जंगल में जब द्रोपदी को प्यास लगी तो उन्होंने भीम से पानी लाने को कहा। भीम ने वहां एक स्थान पर अपनी गदा से पूरी ताकद से प्रहार किया तो वहां पाताली कुंड निर्मित हुआ और अथाह जल राशि नजर आई जिसके बाद से इसका नाम भीमकुंड हो गया। एक अलग मान्यता के अनुसार ज्योतिषशास्त्र की पत्रिका ज्योति सागर के एक अंक में अष्टभा क्षेत्र के विषय में बताया गया है कि, यहां पर भीम और अश्वत्थामा के बीच भयंकर गदा युद्ध हुआ था। इसके बाद जब भीम ने प्रहार किया तब अश्वत्थामा पीछे हट गया, जिससे गदा भूमि से जा टकराई। गदा के प्रचंड प्रहार से एक गड्ढ़ा बन गया, इसमें से पानी निकलकर बहने लगा और यह कुण्ड बन गया। इस कुण्ड में लोग श्रद्धा पूर्वक स्नान ध्यान करते हैं। कुंड के विषय में माना जाता है कि, जब भी इसकी फोटो ली गई तस्वीर में कुंड नहीं दिखा।