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तालीबानी सरकार में नहीं मिली महिलाओं को जगह, खूंखार आतंकियों और ISI को किया गया शामिल

अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान(Taliban) ने वहां सरकार का ऐलान कर दिया है। रहबरी शूरा के प्रमुख मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद(mulla mohammad hasn akhund) को प्रधानमंत्री बनाया गया है। यह वही शख्स है जिसने साल 2001 में बामियान बुद्ध की प्रतिमा को नष्ट करने का आदेश दिया था। वहीं मुल्ला अब्दुल गनी बरादर(mulla abdul gani bradar) को डिप्टी पीएम बनाया गया है। जबकि अमेरिका के मोस्ट वॉन्टेड आतंकी(Most Wanted Terrorist) सिराजुद्दीन हक्कानी(Sirajuddin Haqqani) को गृह मंत्री(home minister) बनाया गया है. हक्कानी पर 38 करोड़ रुपए का इनाम घोषित किया गया है. इसके अलावा कई खूंखार आतंकियों को सरकार में जगह दी गई है.

वहीं बात करें महिलाओं की तो तालिबानी सरकार में महिलाओं के लिए कोई जगह नहीं है। कब्जे के बाद तालिबान की तरफ से किए जाने वाले वादे, इस संबंध में झूठे निकले।

जानकारी के मुताबिक कैबिनेट में 33 में से कम से कम 20 मंत्री कंधार के तालिबानी ग्रुप और हक्कानी नेटवर्क से हैं। तालिबानी प्रवक्ता ने महिलाओं को सरकार में शामिल करने का झूठा वादा तो किया था लेकिन इस सरकार में किसी

महिला को जगह नहीं दी गई है। सरकार में सिराजुद्दीन हक्कानी को अहम जिम्मेदारी मिलना इस बात की ओर संकेत है कि पाकिस्तान के आईएसआई ने कैबिनेट गठन में बड़ी भूमिका निभाई है।

बता दें कि हक्कानी नेटवर्क का मुखिया और जलालुद्दीन हक्कानी का बेटा 2008 में काबुल में भारत के दूतावास पर हुए हमले का भी जिम्मेदार है। उसने 2009 और 2010 में भी भारत और भारत से जुड़ी अन्य जगहों को निशाने बनाने कीकोशिश की। हक्कानी को इंटीरियर मिनिस्टर का पद दिया गया है। अब कानून व्यवस्था भी उसी के अधिकार क्षेत्र में होगी। वहीं प्रांतों के गवर्नर की नियुक्ति भी उसके द्वारा की जा सकती है।

जानकारियों के मुताबिक सिराजुद्दीन हक्कानी पर पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई की हत्या की कोशिश का भी आरोप है। हालांकि इस बार तालिबान के कब्जे के बाद देखा गया है कि करजई उनकी वकालत कर रहे थे।

वहीं मुल्ला मोहम्मद हसन जिसे प्रधानमंत्री बनाया गया है, वह भी यूएन की टेरर लिस्ट में शामिल है। वह कंधार का ही रहने वाला है और तालिबान के संस्थापकों में से एक है। रहबरी शूरा में काम करने के दौरान वह मुल्ला अखुंदजादा के

बेहद करीब था। 1996 से 2001 तक वह अफगानिस्तान में विदेश मंत्रालय और उप प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी भी संभाल चुका है।

इस बार उपप्रधानमंत्री बनाया गया मुल्ला बरादर, तालिबान के कोफाउंडर है। फरवरी 2010 में उसे आईएसआई ने गिरफ्तार किया था और बाद में 2018 में छोड़ दिया गया। इसके बाद वह दोहा में रहने लगा और अमेरिका के बातचीत करने में उसने बड़ी भूमिका निभाई। अमेरिकी राष्ट्रपति से फोन पर बात करने वाला वह पहला तालिबानी नेता है।