अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने एक बार फिर कहा है कि वह लड़कियों की शिक्षा के खिलाफ नहीं है। तालिबान ने कहा कि जल्द लड़कियों की शिक्षा को लेकर सरकार एक बड़ा एलान करेगी। उन्हें स्कूल जाने की अनुमति दी जाएगी।
शिक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय समूह से लगाई मदद की गुहार हालांकि इसके साथ ही तालिबान ने अतंरराष्ट्रीय समुदाय से शिक्षा के लिए मदद का भी आग्रह किया है। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से अधिकांश बाहरी मदद रोक दी गई है।
अफगानिस्तान पर अगस्त में कब्जे के बाद से ही तालिबान अंतरराष्ट्रीय निकायों के साथ सरकार को मान्यता समेत कई कई संवेदनशील मुद्दों से जूझ रहा है। इसमें बालिकाओं की शिक्षा भी एक मुद्दा है। कट्टर इस्लामी संगठन ने सिंतबर में लड़कों को तो स्कूल जाने की इजाजत दे दी है। लेकिन लड़कियों को अभी अनुमति नहीं दी है। इसे लेकर तालिबान की वैश्विक स्तर पर निंदा भी हुई थी। अब तालिबान ने एक बार फिर कहा है कि वह लड़कियों जल्द स्कूल जाने की इजाजत देगा.
शिक्षा मंत्रालय से संबद्ध वाह्य कार्यक्त्रस्म निदेशक वहीदुल्लाह हाशिमी ने बालिकाओं की शिक्षा पर कहा कि हमारे उलेमा (धार्मिक विद्वान) इस पर काम कर रहे हैं, और जल्द ही इंशाअल्लाह हम दुनिया के सामने इसकी घोषणा करेंगे। उसने कहा कि तालिबान लड़कियों को शिक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है और उन्हें स्कूल वापस लाने के तरीकों पर काम कर रहा है। हाशिमी ने कहा कि स्कूलों से किसी भी महिला शिक्षक की छंटनी नहीं की गई है। यह एक सकरात्मक संदेश है कि हम इस दिशा में काम कर रहे हैं।
मदद रुकने से पड़ा प्रभाव
हाशिमी ने कहा कि हम स्कूल या विश्वविद्यालय हटाने पर काम नहीं कर रहे। पश्चिम समर्थित सरकार के पतन के बाद देश में विदेशी सहायता की अचानक वापसी से शिक्षा बुरी तरह प्रभावित हुई है। उन्होंने कहा कि हमने सहायता की अपील की थी। हाशिमी ने अंतरराष्ट्रीय निकायों से कहा कि अगर वे बालिकाओं को स्कूल में देखना चाहते तो उन्हें अभी हमारी मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम हमारी लड़के-लड़कियों, महिलाओं और पुरुषों को शिक्षित करना चाहते हैं, और हम शिक्षित करेंगे।
नए पाठ्यक्रम पर कर रहे काम
हाशिमी ने कहा कि मंत्रालय स्कूलों के लिए एक नए पाठ्यक्रम पर काम कर रहा है ताकि उन्हें इस्लाम, स्थानीय संस्कृति और अंतरराष्ट्रीय मानकों के सिद्धांतों के अनुरूप लाया जा सके। उन्होंने कहा कि सभी विज्ञान के विषयों में मानकों के अनुसार बदलाव किए जाएंगे। मंत्रालय के अधिकारी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहे है। उन्होंने जो देखा उस पर सकरात्मक प्रतिक्रिया दी थी। हालांकि, उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम को अंतरराष्ट्रीय दबाव में नहीं बल्कि ऐसा बनाया जाएगा जो, तालिबान के नेतृत्व और विद्वानों के लिए स्वीकार हो।
कथनी और करनी में रहा है अंतर
तालिबान की कथनी और करनी में शुरू से अंतर रहा है। आगस्त में तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद कई वादे किए थे। उसमें से एक लड़कियों की शिक्षा भी था। हालांकि अब तक उसने वादा नहीं पूरा किया है। लड़कियों को शिक्षित करने पर प्रभावी प्रतिबंध तालिबान की 1996-2001 की पिछली सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों को प्रतिबिंबित करता है। जब महिलाओं के लिए रोजगार बंद था और लड़कियों को स्कूल जाने की अनुमति नहीं थी। वहीं तालिबान के दावे पर संयुक्त राज्य अमेरिका से लेकर रूस समेत कई देशों में संदेह बना हुआ है। इन देशों की ओर मांग की जाती रही है कि तालिबान वादों को पूरा करे।
तालिबान ने अफगानिस्तान में विदेशी मुद्रा पर लगाया प्रतिबंध
तालिबान ने मंगलवार को अफगानिस्तान में विदेशी मुद्रा के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। अफगानिस्तान में तालिबान का यह एक ऐसा कदम है जिससे देश की अर्थव्यवस्था और मुश्किल में आ सकती है। समूह ने अपने एक प्रवक्ता द्वारा पत्रकारों के साथ साझा किए गए एक बयान में कहा, देश में आर्थिक स्थिति और राष्ट्रीय हितों के लिए आवश्यक है कि सभी अफगान अपने हर व्यापार में अफगान मुद्रा का उपयोग करें। अमेरिकी डॉलर का उपयोग अफगानिस्तान के बाजारों में व्यापक है, जबकि सीमावर्ती क्षेत्रों में व्यापार के लिए पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की मुद्रा का उपयोग किया जाता है। तालिबान सरकार अरबों डॉलर के केंद्रीय बैंक के भंडार को जारी करने के लिए दबाव बना रही है। हिंसाग्रस्त देश नकदी की कमी, भुखमरी समेत कई संकट का सामना कर रहा है।