अमेरिका, जर्मनी, जापान और चीन सहित किसी भी देश ने अफगानिस्तान में तालिबानी आतंकियों की सरकार बनने पर गर्मजोशी नहीं दिखाई। उन्होंने मान्यता चुप्पी साध ली है। अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे कई प्रमुख देशों ने कैबिनेट में आतंकियों को शामिल किए जाने और अन्य वर्गों-समूहों को प्रतिनिधित्व नहीं मिलने पर निराशा जताई है।
अमेरिका : सरकार में शामिल कुछ नामों पर हमारी नजर
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह नई सरकार में शामिल नामों का मूल्यांकन कर रहा है। कई लोगों का ट्रैक रिकॉर्ड व आतंकी संगठनों से संबद्धता चिंताजनक है।
उसने बयान दिया, ‘हालांकि यह अंतरिम सरकार है, लेकिन तालिबान का मूल्यांकन उसके कामों से होगा, वह जो कहता आ रहा है, उन शब्दों से नहीं। अफगान सभी के साथ से बनी सरकार की अपेक्षा रखते हैं, हमारी भी यही उम्मीद है।’ साथ ही चेताया कि तालिबान अफगान की सरजमीं का उपयोग किसी देश के खिलाफ नहीं होने दे।
तालिबान खुली और समावेशी सरकार बनाए
चीन ने कहा था कि तालिबान खुली और सभी को साथ लेने वाली सरकार बनाए। लेकिन बुधवार को उसके विदेश मंत्रालय प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, ‘चीन नई सरकार को अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए जरूरी कदम की तरह देखता है। उसके आने से तीन हफ्ते की अराजकता खत्म हुई है।’
जर्मनी : तालिबान से बात करेंगे ताकि लोगों को निकाल सकें
यहां के विदेश मंत्री हाइको मास ने कहा कि उनके पास अफगानिस्तान के हालात पर सकारात्मक होने की कोई वजह नहीं है। प्रदर्शनकारियों-पत्रकारों पर हिंसा हो रही है। 20 साल लोकतंत्र में रहे नागरिकों से ऐसा बर्ताव कोई आस नहीं जगाता। फिर भी तालिबान से बातचीत जारी रखेंगे ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग वहां से निकाले जा सकें।
ब्रिटेन : विविधता नहीं दिखी
यहां के पीएम बोरिस जॉनसन ने कहा कि वे अफगानिस्तान में विविधता भरी सरकार देखना चाहते थे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। साथ ही कहा, तालिबान का मूल्यांकन उसके कामों से किया जाएगा।
जापान : अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए संवाद करेंगे
यहां के चीफ कैबिनेट सेक्रेटरी कतसुनोबू कातो ने कहा, तालिबान पर नजर बनाए हुए हैं, उसे लेकर अमेरिका व अन्य देशों से सहयोग जारी रखेगा। उन्होंने अफगानिस्तान में अपने नागरिकों की सुरक्षा पर चिंता जताई और कहा कि व्यावहारिक बातचीत के जरिए वह नागरिकों की सुरक्षा बनाए रखेगा।
यूएन : देशों को मान्यता देना हमारा काम नहीं
संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनिया गुटेरेस के प्रवक्ता फरहान हक ने कहा, यूएन का काम देशों को मान्यता देना नहीं है। यह काम सदस्य देश करते हैं। साथ ही कहा कि युद्ध प्रभावित देश में केवल बातचीत के जरिये ही स्थायित्व आ सकता है।