तालिबान ने एक बार फिर आतंकियों की पैरवी की है। तालिबान ने कहा है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका में हुए आतंकवादी हमलों में शामिल था। अफगानिस्तान में अपने पिछले शासन के दौरान कई सालों तक ओसामा बिन लादेन को सुरक्षित पनाह देने वाले तालिबान ने 9/11 के हमलों के बाद खूंखार आतंकवादी लादेन को अमेरिका को सौंपने से इनकार कर दिया था। वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने बुधवार को एनबीसी न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि हमले को लेकर ओसामा बिन लादेन अमेरिका में एक मुद्दा बन गया था। उस वक्त वह अफगानिस्तान में था। हालांकि, 9/11 हमले में शामिल होने का कोई सबूत नहीं है। जबीहुल्लाह ने आगे कहा कि अब, हमने वादा किया है कि किसी भी देश के खिलाफ अफगान की धरती का इस्तेमाल नहीं होने देंगे।
11 सितंबर 2001 को अल कायदा के 19 आतंकियों ने विमान हाइजेक कर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के टावरों और पेंटागन से टकरा दिया था। इस हमलों ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया था। इस हमले में अमेरिका का वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पूरी तरह से तबाह हो गया था। इस हमले में करीब 3 हजार लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 6 हजार लोग जख्मी हुए थे। उस समय अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश थे और उन्होंने मांग तालिबान से लादेन को सौंपने की मांग की थी।
2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में अमेरिकी नौसेना के जवानों ने एक सैन्य अभियान में लादेन को मारा गया था। कई सैन्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान आतंकी प्रजनन स्थल बन जाएगा। पिछले साल दोहा में हुए यूएस-तालिबान समझौते के अनुसार, तालिबान ने अल कायदा से संबंध तोड़ने की की बात कही थी। जानकारों की माने तो 2001 के बाद से अल कायदा काफी कमजोर हो गया है। हालांकि, इसके लड़ाके अबी भी अफगानिस्तान में बने हुए हैं। पिछले महीने, संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी थी कि अफगानिस्तान में कई जगहों पर दाएश और अल-कायदा जैसे आतंकवादी समूहों से खतरा बढ़ रहा है।