अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान राज (Taliban Rule) की वापसी से लोग खौफजदा हैं. राजधानी काबुल (Kabul) में तालिबान के घुसते ही हजारों लोग देश छोड़ने की जद्दोजहद में लगे हैं. इस बीच एक 25 वर्षीय अफगान लड़की ने तालिबान आतंकियों की क्रूरता की आपबीती बताई, तो लोगों के रोंगटे खड़े हो गए. नाजिया, जो कि अपने तीन छोटे बेटे और एक बेटी के साथ उत्तरी अफगानिस्तान (Northern Afghanistan) के एक छोटे से गांव में रहती थी, तालिबान लड़ाकों ने उसकी घर में घुसकर हत्या कर दी. उस घटना को याद करते हुए नाजिया की 25 वर्षीय बेटी मनीजा (Manizha) बताती हैं कि करीब 15 तालिबान लड़ाकों ने घर में घुसकर जबरन खाना बनाने के लिए मां पर दबाव डाला था.
मनीजा ने CNN को बताया कि मेरी मां ने डरते हुए उनसे कहा, ‘मैं बेहद गरीब हूं, मैं आपके लिए खाना कैसे बना सकती हूं?” बकौल मनीजा इतना सुनते ही “उन्होंने मां को पीटना शुरू कर दिया. मेरी मां गिर गई और उन्होंने उसे अपनी एके-47 राइफल से जमकर मारा. जब मैंने लड़ाकों को रोकने की कोशिश की तो उन्होंने कमरे में ग्रेनेड फेंक दिया और आग की लपटों के बीच हमें छोड़कर भाग गए. हादसे में मां की मौत हो गई.” गौरतलब है कि इस घटना के अभी बहुत दिन नहीं हुए हैं, ये वारदात इसी साल 12 जुलाई को हुई थी. नाजिया के घर पर हुआ घातक हमला उस खतरे का एक डरावना सच है, जो तालिबान के काबुल पर कब्जा करने के बाद अब पूरे अफगानिस्तान के लोगों के सिर पर मंडरा रहा है. सुरक्षा कारणों से पीड़ितों के बदले हुए नामों का प्रयोग किया गया है.
आपको बता दें कि जब तालिबान ने आखिरी बार 1996 और 2001 के बीच अफगानिस्तान पर शासन किया, तो उन्होंने लड़कियों के स्कूल बंद कर दिए और महिलाओं के काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया था. 2001 में अमेरिका के दखल के बाद महिलाओं पर प्रतिबंधों में काफी ढील दी गई. ऐसे में अब जब एक बार फिर से अफगानिस्तान में तालिबान का राज आ गया है, महिला अधिकारों की चिंता दुनिया को सताने लगी है. हालांकि, इस बार तालिबान एक “अफगान समावेशी इस्लामी सरकार” बनाने का वादा कर रहा है. लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि यह कौन सा रूप लेगा. अफगान संसद की सदस्य के रूप में कार्यरत फरजाना कोचाई का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि आगे क्या होगा.
CNN के मुताबिक, तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा है कि तालिबान के तहत लड़कियों को पढ़ने की इजाजत दी जाएगी. स्कूल खुले रहेंगे और लड़कियां, महिलाएं, शिक्षक के रूप में या स्टूडेंट्स के रूप में स्कूलों में जा सकेंगी. लेकिन जमीनी स्तर पर स्थानीय लोगों की कहानियां एक अलग तस्वीर पेश करती हैं. क्योंकि तालिबान का इतिहास इन सबके खिलाफ रहा है. मालूम हो कि जब तालिबान ने आखिरी बार अफगानिस्तान को कंट्रोल में लिया था तो उसके आदेशों की अवहेलना करने वाली महिलाओं को पीटा गया, हत्या की गई और जबरन शादी भी कराई गई थी. धार्मिक विद्वान, सरकारी अधिकारी, पत्रकार, मानवाधिकार रक्षक और महिलाओं की सबसे ज्यादा हत्याएं हुईं. ऐसे में अफगानिस्तान के भविष्य को लेकर दुनिया की निगाहें अब तालिबान पर टिकी हैं.