भारत ने कहा है कि वह जी-7 शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की वैश्विक आधारभूत ढांचे की परियोजना के प्रस्ताव का पहले अध्ययन करेगा। उसके बाद ही इस परियोजना में शामिल होगा। बाइडन ने चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव’ (बीरआई) के जवाब में ‘बिल्ड बैक बेटर’ परियोजना का प्रस्ताव दिया है इस योजना के तहत दुनिया के तमाम बड़े लोकतंत्र विकासशील देशों को बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 400 खरब डॉलर की आर्थिक और तकनीकी मदद देंगे। उम्मीद जताई जा रही है कि इस योजना से स्थानीय रोजगार पैदा होगा।
जी-7 की इस पहल को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पसंदीदा बीआरआई परियोजना को झटका देने की संभावना के तौर पर देखा जा रहा है। विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत की उपयुक्त एजेंसियों द्वारा बाइडन की इस परियोजना के अध्ययन के बाद ही उसमें शामिल होंगे।
2022 के अंत तक टीके की एक अरब खुराकें मुहैया कराएंगे जी-7 देश
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने रविवार को कॉर्नवाल में जी-7 शिखर सम्मेलन के समापन पर कहा कि दुनिया के नेताओं ने अगले साल के अंत तक गरीब देशों को कोविड-19 रोधी टीकों की एक अरब खुराकें मुहैया कराने का संकल्प जताया है। जी-7 के सम्मेलन में अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान के अलावा मेहमान देश के तौर पर दक्षिण कोरिया, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और भारत ने डिजिटल माध्यम से शिरकत की।
जॉनसन ने कहा, ‘नेताओं ने सीधे तौर पर या ‘कोवाक्स’ पहल के जरिए दुनिया के गरीब देशों को एक अरब खुराकों की आपूर्ति का संकल्प लिया है। इसमें ब्रिटेन की ओर से दी जाने वाली 10 करोड़ खुराकें भी शामिल हैं। दुनिया के टीकाकरण की दिशा में यह एक बड़ा कदम है।’ जॉनसन ने ब्रिटेन में विकसित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके की खास भूमिका को भी रेखांकित किया। भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ‘कोविशील्ड’ नाम से इस टीके का उत्पादन कर रही है।