हाथी को गजराज भी कहते है। हाथी को कुदरत ने चमत्कृत करने वाली त्वचा प्रणाली दी है। जिसकी मदद से वह खुद के शरीर को शीतल रखता है। विशालकाय आकार के साथ गर्म व शुष्क स्थानों पर रहने वाले हाथी की त्वचा झुर्रीदार और गहरी दरारों से युक्त होती है। चूंकि इंसानों की तरह इस जानवर के पास पसीने की ग्रंथि नहीं होती है जिससे कि ये खुद का तापमान नियंत्रित कर सके।
हठी शरीर के ऊपर क्यों डालता है पानी:
कुछ जानवर पसीना निकालकर अपने शरीर का तापमान नियंत्रित करते हैं तो कुछ की रक्त शिराएं चौड़ी होती हैं। कुछ तो जल्दी-जल्दी सांस लेकर ऐसा करने में सक्षम होते हैं। वैज्ञानिकों ने हाथी की त्वचा का कंप्यूटर मॉडल विकसित करके पता लगाया कि जब भी कोई यांत्रिक तनाव पड़ता है तो इसकी बाहरी त्वचा यानी एपीडर्मिस पर ये दरारें उभर आती हैं।
हाथी जब चलता है तो त्वचा पर ये दरारें बन जाती हैं। हाथी का शरीर तापमान नियंत्रण में नाटकीय असर डालता है। दरअसल, जिस जीव का शरीर जितना बड़ा होगा, उसे तापमान नियंत्रण में उतनी ही मुश्किलें आएंगी। जब जानवर का शरीर वृद्धि करता है तो तुलनात्मक रूप से उसकी त्वचा की सतह का क्षेत्र कम होता जाता है।