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जानिए कब है शनैश्चरी अमावस्या, शनि साढ़ेसाती से पीड़ित हैं तो इस दिन करें ये उपाय

हिंदू धर्म में फाल्गुन मास में पड़ने वाली अमावस्या का खास महत्व है. वहीं अगर ये अमावस्या शनिवार के दिन पड़े तो इसका महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है. शनिवार के दिन पड़ने की वजह से इस अमावस्या को शनैश्चरी अमावस्या कहा जाता है.

जो लोग शनि दोष, शनि साढ़ेसाती, शनि की ढैया या शनि संबन्धी किसी अन्य परेशानी से पीड़ित हैं, उन लोगों के लिए शनैश्चरी अमावस्या के दिन कुछ उपाय करने चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है. इस बार शनैश्चरी अमावस्या 13 मार्च 2021 को है. यहां जानिए शनैश्चरी अमावस्या के खास उपाय.

1. पीपल के वृक्ष की पूजा करने से शनिदेव अत्यंत प्रसन्न होते हैं. पीपल में सभी देवताओं का वास माना जाता है. इसलिए शनि के दुष्प्रभाव से बचने के लिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए.

2. शनिवार के दिन सिन्दूर और चमेली के तेल का दीपक जलाकर हनुमान जी को लाल लंगोट अर्पित करें. हनुमान जी को शनिदेव का परम मित्र माना जाता है. मान्यता है कि जो लोग हनुमान बाबा की उपासना करते हैं, शनिदेव उन्हें नहीं सताते.

3. शमी का पेड़ भी शनिदेव को बहुत प्रिय है. शनैश्चरी अमावस्या के दिन शमी के वृक्ष की पूजा करने व उसके पास दीपक रखने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं और शनि संबन्धी कष्टों से राहत मिलती है. शनि अमावस्या वाले दिन शमी वृक्ष की जड़ को काले कपड़े में बांधकर अपनी दाईं भुजा में बांधने से भी काफी लाभ होगा.

4. शनिवार को सुबह किसी पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और 7 बार परिक्रमा करें. इसके बाद हनुमान जी के समक्ष चौमुखी दीपक जलाएं और पीपल के नीचे बैठ कर हनुमान चालीसा का पाठ करें.

5. शनिवार के दिन काले पशुओं जैसे काली गाय और काले कुत्ते को सरसों के तेल से बना परांठा खिलाएं. आप चाहें तो रोटी में सरसों का तेल लगाकर भी खिला सकते हैं.

6. शुक्रवार को 800 ग्राम काले तिल पानी में भिंगों दे. शनैश्चरी अमावस्या वाले दिन गुड़ में कूट कर लड्डू बनाएं और काले घोड़े को खिला दें. ये उपाय लगातार आठ शनिवार तक करने से शनि पीड़ा से मुक्ति मिलती है.

7.  पीपल के 11 पत्ते लेकर साफ जल से धोकर इन पत्तों पर चंदन से श्री राम का नाम लिखें, इसके बाद हनुमान जी को अर्पित करें. लेकिन ये पत्ते उनके चरणों में न रखें क्योंकि हनुमान जी भगवान राम के बड़े भक्त हैं. संभव हो तो इन पत्तों की माला बनाकर पहनाएं.