केंद्र सरकार (central government) द्वारा सुप्रीम कोर्ट (Supreem Court) के सामने जातिगत जनगणना (caste census) को लेकर कोई निर्देश नहीं जारी करने की अपील के बाद से ही बिहार की सियासत गरम हो गई है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने सामाजिक-आर्थिक और जातीय जनगणना की मांग को लेकर देश की विभिन्न पार्टियों के 33 वरिष्ठ नेताओं को पत्र लिखा है. इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार जातिगत जनगणना को लेकर उदासीन एवं नकारात्मक (indifferent and negative) रवैया अपना रही है. इसमें यह भी जिक्र किया गया है कि जाति आधारित जनगणना की मांग को राष्ट्र निर्माण में एक आवश्यक कदम के रूप में देखा जाना चाहिए. जातीय जनगणना नहीं कराने के खिलाफ सत्ताधारी दल (भाजपा) के पास एक भी तर्कसंगत कारण नहीं है.
तेजस्वी ने जिन नेताओं को पत्र लिखा है उनमें सोनिया गांधी, शरद पवार, अखिलेश यादव, मायावती, एमके स्टालिन, ममता बनर्जी, नवीन पटनायक, सीताराम येचुरी, डी राजा, नीतीश कुमार, फारूक अब्दुल्ला, प्रकाश सिंह बादल, दीपांकर भट्टाचार्य, उद्धव ठाकरे, के चंद्रशेखर राव, वाईएस जगन मोहन रेड्डी, महबूबा मुफ्ती, हेमंत सोरेन, पीनारायी विजयन, अरविंद केजरीवाल, अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, चरणजीत सिंह चन्नी, ओम प्रकाश चौटाला, जीतन राम मांझी, मौलाना बदरुद्दीन आज़मी, जयंत चौधरी, ओ पनीर सेल्वम, ओमप्रकाश राजवीर, चिराग पासवान ,अख्तरुल इमान, मुकेश साहनी और चंद्रशेखर आजाद के नाम शामिल हैं.
बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से आधिकारिता मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) हलफनामा दायर कर कहा है कि सरकार पिछड़ी जातियों की जनगणना करवाने के लिए तैयार नहीं है, इससे प्रशासनिक कठिनाइयां उत्पन्न होंगी. शीर्ष कोर्ट में दायर हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि सामाजिक आर्थिक व जाति जनगणना 2011 अशुद्धियों से भरी हुई है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि SECC-2011 सर्वे ओबीसी सर्वेक्षण नहीं है जैसा आरोप लगाया जाता है बल्कि यह सभी घरों में जातीय स्थिति जानने की प्रक्रिया थी.
दरअसल, महाराष्ट्र की एक याचिका में जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी करने की मांग की गई थी. इस पर सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने हलफनामे में कहा है कि सरकार ने 2021 की जनगणना में एससी-एसटी को शामिल किया है, पर अन्य किसी श्रेणी का उल्लेख नहीं है. बता दें कि कि हाल में बिहार के सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में तेजस्वी यादव समेत 10 दलों का प्रतिनिधिमंडल जातीय जनगणना की मांग को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी मोदी से मिला था. तब केंद्र सरकार की ओर से समीक्षा की बात कही गई थी, लेकिन केंद्र के ताजा रुख के बाद सियासत परवान पर है.