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जयशंकर ने राहुल गांधी पर कसा तंज, कहा मैं अपनी खबर चीनी एंबेसडर से नहीं पूछता

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi)  इन दिनों भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त हैं। भारत जोड़ो यात्रा (India Jodo Yatra) के दौरान राहुल गांधी भाजपा और संघ पर हमला करते रहते हैं, यहां तक कि वह अक्सर चीन (China) को लेकर पीएम मोदी को घेरने की कोशिश करते हैं। यहां तक कि राहुल का दावा है कि चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा कर लिया है। जिसका जवाब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिया।

 

बता दें कि विदेश मंत्री जयशंकर ने पुणे में शनिवार के कार्यक्रम में कहा, “अगर मुझे चीन पर कुछ जानने की जरूरत है, तो मैं इनपुट लेने के लिए चीनी राजदूत के पास नहीं जाऊंगा, बल्कि अपने सैन्य नेतृत्व के पास जाऊंगा।” दरअसल, राहुल गांधी ने कुछ दिन पहले कहा था कि महत्वपूर्ण मुद्दों पर जानकारी प्राप्त करना मेरा काम है। मैं चीनी राजदूत (भारत के) पूर्व-एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार), एनई (पूर्वोत्तर) के कांग्रेस नेताओं और भूटानी राजदूत से मिला था।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि जिस जमीन की वे बात कर रहे हैं, चीन ने उस पर 1962 में कब्जा किया था, लेकिन, उनकी बातों से लग रहा है कि मानो बात कल या परसों की हों। पत्रकारों से बातचीत में जयशंकर ने राहुल गांधी का नाम नहीं लिया लेकिन, ये जरूर कहा कि वे राजनीतिज्ञ हैं और अपने कमजोर पहलू नहीं बताएंगे। राहुल पर कटाक्ष करते हुए जयशंकर ने कहा कि अगर मेरी सोच में कमी है तो मैं अपनी फौज़ या इंटेलिजेंस से बात करूंगा। मैं चीनी एंबेसडर को बुलाकर अपनी खबर के लिए नहीं पूछता। राहुल गांधी ने हाल ही में लद्दाख में क्षेत्र के नुकसान पर एक आधिकारिक रिपोर्ट पर बात की थी। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने पूर्व लद्दाख में 65 में से 26 गश्त पॉइन्ट को खो दिया है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लद्दाख में भारत और चीनी सेनाओं के बीच तनातनी पर कहा कि कभी-कभी वे खबरें फैलाते हैं कि वे जानते हैं कि यह गलत है। वे इसे ऐसे पेश करते हैं जैसे कि यह अभी हुआ है, जबकि यह वास्तव में 1962 में हुआ था वे इसके बारे में बात नहीं करेंगे।

दरअसल, लद्दाख क्षेत्र के नुकसान पर, हाल ही में राहुल गांधी ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की एक रिपोर्ट का हवाला देकर केंद्र सरकार पर हमला बोला था। रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत ने पूर्वी लद्दाख में 65 में से 26 गश्त बिंदुओं तक पहुंच खो दी है। रिपोर्ट दिल्ली में देश के शीर्ष पुलिस अधिकारियों के एक सम्मेलन में दायर की गई थी, जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भाग लिया था।