जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सोमवार को भारतीय सेना के साथ एक संयुक्त अभियान में लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) के एक आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया और सोपोर के हैगम गांव से 3 आतंकवादियों को दबोचने में कामयाबी पाई. लश्कर-ए-तैयबा के ये तीनों आतंकवादी केंद्र शासित प्रदेश में कई जगहों पर गैर-स्थानीय मजदूरों की हत्या और ग्रेनेड हमलों की योजना बना रहे थे. एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, विभिन्न स्थानों से संदिग्ध व्यक्तियों से पूछताछ ने जम्मू-कश्मीर में लक्षित हत्याओं के पीछे आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की भूमिका को स्थापित किया है.
यह भी पता चला है कि आतंकवादी संगठन सामान्य क्षेत्र में इस तरह के जघन्य अपराधों की योजना बना रहे हैं और इसके लिए लश्कर के इन तीनों आतंकवादियों को काम सौंपा गया था. इंटेलिजेंस इनपुट पर तुरंत कार्रवाई करते हुए, सुरक्षा बलों ने 2 मई को सोपोर के सामान्य क्षेत्र से श्रीनगर तक तीनों की आवाजाही को रोक दिया. 29 राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) और जम्मू-कश्मीर पुलिस के संयुक्त मोबाइल वाहन चेक पोस्ट (एमवीसीपी) की इन आतंकवादियों को पकड़ने के लिए चिन्हित मार्ग और उपमार्गों पर तैनाती की गई थी.
जम्मू-कश्मीर की आधिकारिक प्रेस रिलीज के मुताबिक, ’02 मई 22 की रात, तीन व्यक्तियों को हैगम के सामान्य क्षेत्र में बागों में संदिग्ध रूप से घूमते देखा गया. लुकआउट पार्टी ने 29 राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) और जम्मू-कश्मीर पुलिस के संयुक्त मोबाइल वाहन चेक पोस्ट को सतर्क कर दिया. सुरक्षा बलों ने तीनों को चुनौती दी, हालांकि वे सामान्य क्षेत्र में बगीचों की ओर भाग गए. एमवीसीपी ने तीनों का पीछा किया और भागने के महत्वपूर्ण मार्गों पर तैनात सुरक्षा बलों ने उन्हें दबोच लिया.’गिरफ्तार किए गए लश्कर के तीन आतंकवादियों की पहचान तफ़ीम रियाज़ (पुत्र रियाज़ अहमद मीर, निवासी उस्मान अबाद वारपोरा), सीरत शबाज़ मीर (पुत्र मोहम्मद शाहबाज़ मीर, निवासी ब्रथ कलां सोपोर) और रमीज़ अहमद खान (पुत्र गुलाम मोहम्मद खान निवासी मीरपोरा ब्रथकलां) के रूप में हुई है. इनकी तलाशी में 3 चीनी पिस्तौल और गोला-बारूद और आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई. सुरक्षा बलों ने कहा कि यह सफल ऑपरेशन प्रमुख आतंकी साजिशों से बचने में मदद करेगा और गैर-स्थानीय मजदूरों की टारगेटेड किलिंग के पीछे के मॉड्यूल का भंडाफोड़ करेगा.