पिछले साल 15 जून को गलवान की जंग में जब चीन चित हुआ तो पहली बार उसे भारतवर्ष की शक्ति का अहसास हुआ. एक-एक कर ड्रैगन की तमाम साजिशों की हवा निकल गई और विश्वशक्ति का दंभ चूर-चूर हो गया. हिंदुस्तान के शौर्य और पराक्रम के आगे चीन ऐसा चौंका कि 10 महीने के भीतर चाइनीज आर्मी को पैंगोंग इलाके से बोरिया बिस्तर बांधना पड़ा, टेंट-तंबू उखाड़ने पड़े. मतलब, लद्दाख की लड़ाई ने चीन की अकड़ तोड दी, महीनों बाद बीजिंग ने ये बता ही दिया कि गलवान में उसके सैनिक मारे गए थे, तो डिसइंगेजमेंट के समय ये भी कबूल कर लिया कि पूर्वी लद्दाख में उनकी पोजिशन कमजोर हो रही थी. ड्रैगन आर्मी का हौसला हिलने लगा था और हिमालय की सर्दी में चाइनीज़ सैनिक दम भी तोड़ने लगे थे.
इस बीच चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि चीन और भारत को सीमा मुद्दे के हल के लिए एक-दूसरे को नुकसान पहुंचाना और आपस में संदेह करना छोड़ देना चाहिए और द्विपक्षीय सहयोग का विस्तार कर अनुकूल माहौल बनाना चाहिए. भारतीय सीमा के पास दौड़ेगी चीन की बुलेट ट्रेन सुना आपने, 21वीं सदी के हिंदुस्तान से टकराकर बीजिंग के बोल बदल गए हैं, लेकिन फितरत वही है. इसीलिए हमारी टेंशन बढ़ाने वाली ख़बर ये है कि अब भारतीय सीमा के नजदीक तक चीन की बुलेट ट्रेन दौड़ने वाली है. बताया जाता है कि इसी साल जुलाई से पहले अरुणाचल प्रदेश से लगने वाले बॉर्डर के नजदीक चीन तिब्बत तक बुलेट ट्रेन चलाने लगेगा. 435 किलोमीटर लंबी रेल मार्ग पर पटरी बिछाने का काम 2020 में ही पूरा हो चुका है. यानी, चीन ने तिब्बत के ल्हासा तक बुलेट ट्रेन चलाने की तैयारी पूरी कर ली है. ये ट्रेन चीन के लगभग सभी प्रांतों से होकर गुजरेगी. चीन का लक्ष्य 2025 तक हाई स्पीड ट्रेन का नेटवर्क 50 हजार किलोमीटर तक करने का है.
मतलब एक तरफ चीन भारत से सीमा विवाद सुलझाने के लिए सैन्य और कूटनीतिक बातचीत कर रहा है. क्योंकि अभी भी लद्दाख में गोगरा, हॉट स्प्रिंग, डेमचोक और देपसांग पर दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही है. अब यहां गौर करने वाली बात ये है कि चीन झुका भी है. वार्ता भी कर रहा है, लेकिन उसकी साजिशों का दायरा भी बढ़ता जा रहा है. इसीलिए लंबे सीमा विवाद और तनाव के बीच भी चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में तेजी से इंन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास कर रहा है और अब तो 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तिब्बत तक चाइनीज बुलेट ट्रेन दौड़ने वाली है.