देश की सबसे बड़ी कार कंपनी (Car Company) मारुति सुजुकी इंडिया को उम्मीद है कि महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जों (चिप) की सप्लाई में धीरे-धीरे सुधार के साथ मौजूदा तिमाही में उत्पादन गतिविधियां रफ्तार पकड़ सकेंगी. मारुति सुजुकी, भारत में घरेलू यात्री वाहन बाजार में 50 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी तक पहुंचने के लिए अपने एसयूवी (SUV) पोर्टफोलियो को मजबूत करने सहित अन्य उपायों पर विचार कर रही है. बता दें कि अभी कुल मिलाकर कंपनी की बाजार हिस्सेदारी लगभग 44 प्रतिशत है. मध्यम आकार के एसयूवी रेंज में कंपनी की स्थिति अधिक मजबूत नहीं है, जो काफी तेजी से बढ़ रहा है.
चिप की कमी से नहीं हो सका 90 हजार गाड़ियों का उत्पादन
मारुति सुजुकी इंडिया के मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) अजय सेठ ने विश्लेषकों के साथ कॉल में कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जों की कमी की वजह से तीसरी तिमाही में करीब 90,000 वाहनों का उत्पादन नहीं हो सका. हालांकि, इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जों की स्थिति अभी भी अनिश्चित है, लेकिन आपूर्ति धीरे-धीरे सुधर रही है. कंपनी को चौथी तिमाही में उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है लेकिन यह पूरी क्षमता तक नहीं पहुंच पाएगा.
वर्तमान में मारुति के हरियाणा और गुजरात के संयंत्रों की तिमाही उत्पादन क्षमता लगभग 5.5 लाख इकाई या 22 लाख इकाई सालाना की है.
पिछले साल त्योहारी सीजन के दौरान रही थी चिप की जबरदस्त किल्लत
मारुति सुजुकी इंडिया के सीएफओ अजय सेठ ने कहा कि अक्टूबर-दिसंबर के दौरान कंपनी को इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जों की कमी का सामना करना पड़ा, खासकर त्योहारी सीजन के दौरान, जबकि कारों की मांग आमतौर पर अच्छी बनी रहती है.
सेठ ने बताया, ‘‘तीसरी तिमाही में पूछताछ, बुकिंग और खुदरा बिक्री में पिछली तिमाही की तुलना में सुधार हुआ है. वित्त की उपलब्धता और ब्याज दरें अनुकूल बनी हुई हैं.’’
लक्ष्य का सिर्फ 40 फीसदी ही उत्पदान कर पाई मारुति सुजुकी
उत्पादन परिदृश्य पर मारुति के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक (बिक्री और विपणन) शशांक श्रीवास्तव ने कहा कि पिछले साल सितंबर से स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हुआ है. उस समय कंपनी अपने मैन्यूफैक्चरिंग लक्ष्य का केवल 40 प्रतिशत ही उत्पादन कर पाई थी.
श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘इस मायने में स्थिति में सुधार हो रहा है. हालांकि, यह अभी भी 100 प्रतिशत नहीं है. हम जनवरी, फरवरी और मार्च को लेकर आशान्वित हैं. हम 90 प्रतिशत से ऊपर जाने की उम्मीद कर रहे हैं. हालांकि, संभवत: हम 100 प्रतिशत तक नहीं पहुंच पाएंगे.’’