पाकिस्तान अपनी आजादी के 75 साल पूरे होने का जश्न मनाने वाला है. लेकिन जश्न जैसा कुछ भी नहीं है. ये देश इस समय कर्ज तले डूब चुका है, इसका विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड तेजी से घटता जा रहा है. महंगाई इतनी ज्यादा हो चुकी है कि आम जानता त्राहिमाम कर रही है. पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को लेकर जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, वे सिर्फ उसके पतन की कहानी बयान कर रहे हैं.
ताजा आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में करीब दो अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है. बड़ी बात ये है कि पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार अगस्त के पहले हफ्ते में 14 अरब डॉलर के निशान से भी नीचे जा चुका है. महंगाई दर भी 13 साल में सबसे ज्यादा दर्ज की गई है. इस साल जून में महंगाई दर 21.3 फीसदी पर पहुंच गई थी. इससे पहले दिसंबर 2008 में पाकिस्तान में महंगाई की दर 23.3 फीसदी रही थी.अब इस बिगड़ते हालात के लिए कई फैक्टर जिम्मेदार माने जा रहे हैं.
पाकिस्तान की खराब नीतियां तो इसे कंगाली की ओर ले ही जा रही हैं, इसके अलावा राजनीतिक अस्थिरता ने भी लोगों के भविष्य को अस्थिर कर दिया है. आजादी के बाद से पाकिस्तान में एक भी सरकार अभी तक अपना पांच साल का कार्यकाल भी पूरा नहीं कर सकी है. ये इसी बात को साबित कर रहा है कि इस देश में आतंकियों को तो पनाह मिल जाती है, लेकिन स्थिरता, विकास, तरक्की, ये सब कुछ पीछे छूट जाता है.
पाकिस्तान के वर्तमान हालात को ऐसे समझा जा सकता है कि इस समय एक लीटर पेट्रोल के लिए लोगों को 248 पाकिस्तानी रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. इसी तरह एक लीटर डीजल के लिए 263 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. इन हालात पर एक्सपर्ट तो अपनी चिंता जाहिर कर ही रहे हैं, इसके अलावा आम जनता भी अब खुलकर बोलने लगी है.
एक शख्स ने वर्तमान हालात पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि पाकिस्तान में महंगाई तो बढ़ती ही रहेगी, बेरोजगारी भी बढ़ेगी, लोग मरेंगे, आत्महत्या कर लेंगे. इस डॉलर के रेट को कंट्रोल करने के लिए पाकिस्तान की सरकार को कोई कदम तो उठाना ही चाहिए. अब ये तो सिर्फ एक शख्स का बयान है, लेकिन पाकिस्तान की आवाम अभी इसी हालात से जूझ रही है. उदासीनता हावी हो चुकी है और उम्मीद की किरण दिखाई नहीं दे रही.
39.58 अरब डॉलर का व्यापार घाटा
आंकड़े तो इस बात की भी तस्दीक कर रहे हैं कि पाकिस्तान को इस समय 39.58 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हो रहा है. हालात ऐसे बन गए हैं कि इस समय पाकिस्तान में विदेशी मुद्रा समाप्त हो रही है, लेकिन आयात के बिल बढ़ते जा रहे हैं. जानकार मानते हैं कि पाकिस्तान में कभी सेना का राज शुरू हो जाता है तो कभी किसी की सरकार गिर जाती है, इस अस्थिरता की वजह से ही पाकिस्तान को आगे बढ़ने के लिए कोई स्पष्ट नीति या योजना नहीं मिल पा रही है.
पाकिस्तान को अब IMF से उम्मीदें
ऐसी स्थिति में पाकिस्तान की सारी उम्मीद उस IMF से है जो उसे 1.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता दे सकता है. लेकिन ये बेल आउट पैकेज तभी मिलेगा जब पाकिस्तान कुछ शर्तों को पूरा करे. इसमें सब्सिडियों को खत्म करने से लेकर महंगाई बढ़ाने तक जैसे फैसले शामिल हैं. अब पाकिस्तान इन्हें पूरा करता है या नहीं, यही बड़ा सवाल है.