कैंसर रोग का नाम सुनते ही हम लोग सोचते हैं कि यह रोग न ठीक होने वाला रोग है और बेहद तनाव में इस सोच को भी बना लेते हैं कि मृत्यु निकट है। जबकि आयुर्वेद में इस बात के साक्ष्य मौजूद हैं कि कैंसर जैसे भयानक रोग को भी ठीक किया जा सकता है व और बढ़ने से भी रोका जा सकता।
उपाय छोटा है और बेहद प्रभावी भी है साथ ही इसका वैज्ञानिक आधार भी है। कैंसर में शरीर की कोशिकाओं व रक्त कणिकाओं का नष्ट होना शुरू हो जाता है जो कि बहुत तेजी से पूरे शरीर को अपनी जकड़ में ले लेता है। रोगी का वजन इसी कारण तेजी से गिरता भी है।
तुलसी को रक्त शुद्ध करने वाला एक प्रखर एंटीबायोटिक माना जाता है। गिलोए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ शरीर में रक्त कणिकाओं का पुन: निर्माण भी करता है जो कि शरीर की कम हुई प्लेटलेट्स को सही करने में अन्य रोगों में भी प्रभावी है।
तुलसी की पत्तियों व गिलोए का एक साथ निकाला गया रस कैंसर के रोगी के लिए रामबाण औषधि साबित हुई है।
ताजा रस को निकालकर करीब 15 मिलीलीटर यानि करीब तीन से चार चम्मच कैंसर रोगी को दिन में कमसे कम 2 बार देने से विशेष लाभ होता है। सबसे अच्छा वक्त इस रस को देने का सुबह खाली पेट होता है और उसके बाद करीब 30 मिनट तक रोगी को कुछ भी नहीं देना चाहिए।
यदि सुबह न ले सकें तो दिन में 12 बजे और फिर सायं 4 बजे इस औषधि को बताये गए तरीके से नियमपूर्वक लेना होता है।
विशेषतौर पर यह समझना आवश्यक है कि ये दोनों ही तत्व आपको प्राकृतिक रूप से जुटाने हैं और जब भी इस मिश्रण रस को दें तब ताजा ही निकालकर दें।
बाजार की रेडीमेड तुलसी अथवा गिलोए का रस आपको हानि पहुंचा सकता है।
नियमित रूप से एक माह तक पहले इस उपाय को करें और फिर डाॅक्टरी जांच जरूर करवाएं व परिणामों में जब आप रोगी की सेहत में सुधार पाएं तो इसको नियमित रखें।