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केसीआर ने वैकल्पिक एजेंडे के साथ राष्ट्रीय पार्टी बनाने के संकेत दिए

तेलंगाना (Telangana) के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (CM K. Chandrashekhar Rao) ने बुधवार को एक वैकल्पिक राष्ट्रीय एजेंडा (Alternative National Agenda) को लागू करने के लिए एक राष्ट्रीय पार्टी (National Party) बनाने का संकेत दिया (Hints) । टीआरएस के पूर्ण अधिवेशन को संबोधित करते हुए, केसीआर ने कहा कि हमारे पास तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) को भारतीय राष्ट्र समिति (बीआरएस) में बदलने के लिए सुझाव आए हैं।

टीआरएस के 21वें स्थापना दिवस समारोह को चिह्न्ति करने के लिए आयोजित पूर्ण समारोह में अपने उद्घाटन भाषण में, केसीआर ने एक वैकल्पिक राजनीतिक ताकत की आवश्यकता के बारे में बताया जो भारत को अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करके प्रगति के पथ पर आगे ले जा सके। सफल तेलंगाना मॉडल पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने दावा किया कि टीआरएस में राष्ट्रीय स्तर पर इस सफलता को दोहराने की क्षमता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि टीआरएस राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करने और बदलाव लाने में अपनी भूमिका निभाएगी।

हैदराबाद इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एचआईसीसी) में 3,000 प्रतिनिधियों द्वारा ‘देश का नेता केसीआर’ के जोरदार नारों के बीच, केसीआर ने गुणात्मक परिवर्तन लाने के लिए एक राजनीतिक ताकत की आवश्यकता के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि अगर देश की बेहतरी के लिए तेलंगाना और हैदराबाद से शुरूआत की जाए और यहां से नया एजेंडा आए तो राज्य को गर्व होगा।

इस संदर्भ में केसीआर ने राष्ट्रीय राजधानी में टीआरएस कार्यालय के निर्माण पर चल रहे काम के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि देश को एक विकल्प की जरूरत है, न कि किसी राजनीतिक मोर्चे की, जो एक पार्टी को सत्ता से बेदखल करने और उसकी जगह दूसरी पार्टी को लाए। उन्होंने कहा कि यह एक प्रक्रिया होगी जैसे हमने तेलंगाना को कैसे हासिल किया। इस प्रक्रिया में क्या होता है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

सात साल की छोटी सी अवधि में तेलंगाना के परिवर्तन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि राज्य पूरे देश के लिए एक आदर्श बन गया है। उन्होंने इस बात पर भी बहस करने का आह्वान किया कि देश सभी प्राकृतिक और मानव संसाधनों के बावजूद, तेलंगाना ने सभी क्षेत्रों में जो हासिल किया है, उसे हासिल करने में बाकी राज्य असमर्थ क्यों हैं।

इस बात पर अफसोस जताते हुए कि 75 साल बाद भी आजादी का फल लोगों तक नहीं पहुंचा है, केसीआर ने इस पर बहस करने का आह्वान किया कि देश अपने पास सभी संसाधन होने के बावजूद लोगों की आकांक्षाएं क्यों पूरी नहीं हो पा रहीं हैं। उन्होंने देश में बढ़ती सांप्रदायिक वैमनस्यता पर भी चिंता व्यक्त की और लोगों से इस पर विचार करने का आग्रह किया कि यह देश को कहां ले जाएगा। उन्होंने पूछा कि देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को कैसे गाली दे सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसा किसी और देश में नहीं होता। हम गांधीजी के लिए गालियां सुनते हैं, जबकि उनके हत्यारे की पूजा की जाती है।

केसीआर ने देश को सांप्रदायिकता से उत्पन्न खतरों के बारे में भी बताया। उन्होंने दिल्ली में धार्मिक जुलूसों में तलवारें और बंदूकें लहराने का जिक्र किया और आश्चर्य जताया कि कौन सा धर्म या संविधान इसकी अनुमति देता है। उन्होंने चेतावनी दी कि हिजाब और हलाल की राजनीति और एक समुदाय के लोगों द्वारा चलाई जा रही दुकानों का बहिष्कार केवल विनाश ही लाएगा। उन्होंने कहा कि विदेश में 13 करोड़ भारतीय काम कर रहे हैं और अगर वे कहे कि आप हमारे धर्म के नहीं हैं और बाहर निकल जाएं, तो क्या यह सरकार उन्हें नौकरी देगी।

केंद्र की भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि वह गिरती जीडीपी, उद्योगों के बंद होने, महंगाई और कई अन्य समस्याओं के प्रति उदासीन है। टीआरएस नेता ने कहा कि इसके बजाय, भाजपा सरकार राजनीतिक लाभ के लिए पुलवामा, सर्जिकल स्ट्राइक और यहां तक कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ जैसी फिल्म जैसे मुद्दों का इस्तेमाल करती है।