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केरल में बढ़ रहे ‘तालिबान समर्थक’, निशाने पर है पढ़ी-लिखी महिलाएं

केरल(Kerala) में तालिबान का समर्थन बढ़ता (increasing support for the Taliban) ही जा रहा है। सत्तारूढ़ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) Communist Party of India (Marxist) की केरल इकाई (Kerala Unit) कथित तौर पर राज्य में जमात-ए-इस्लामी हिंद Jamaat-e-Islami Hind (JIH)द्वारा ‘कट्टरपंथ और सांप्रदायिकता’ की वकालत करने से चिंतित है।


केरल की भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के एक आंतरिक दस्तावेज से इस बात का खुलासा (Disclosure from an internal document) हुआ है। इन दस्तावेजों को सीपीएम ने अपने पार्टी कैडरों के बीच बांटा था। इन दस्तावेजों के अनुसार, जमात-ए-इस्लामी हिंद सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने का कार्य कर रहा है। दावा है कि जमात केरल में अपने एजेंडे को बढ़ाने के लिए अपने सोशल मीडिया तथा प्रकाशनों का उपयोग कर रहा है। जमात की मंशा इस्लामिक राज की स्थापना है।

वहीं सीपीएम के दस्तावेजों में दावा किया गया है कि अपने विचारों को मुस्लिम समुदाय के साथ-साथ दूसरे धर्मों में भी फैला रहा है। इतना ही नहीं, ये भी दावा है कि ईसाइयों को मुसलमानों के विरुद्ध भड़काने का प्रयास भी हो रहा है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, केरल में 26 फीसदी मुस्लिम आबादी है। सीपीएम के दस्तावेज में बताया गया है कि ‘ये गंभीर चिंता का विषय है कि केरल में तालिबान के समर्थन की बातचीत हो रही है। जबकि, मुस्लिम समुदाय सहित विश्वभर में इसकी निंदा हो रही है।’

पढ़ी-लिखी महिलाओं को बनाया जा रहा निशाना
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार के अनुसार, इसमें दावा किया गया है कि पढ़ी-लिखी महिलाओं को इस विचारधारा की तरफ लुभाने का प्रयास किया जा रहा है। सीपीएम ने इसके लिए जमात को आरोपी ठहराया है। साथ ही अपने संगठनों एवं कार्यकर्ताओं को सांप्रदायिकता के विरुद्ध एकजुट होने की बात कही है। दस्तावेजों में यह भी बताया गया है कि संघ परिवार की गतिविधियों की वजह से अल्पसंख्यकों में सांप्रदायिक भावनाएं बढ़ रही हैं।

संघ की वजह से बढ़ रहा कट्टरपंथ
सीपीएम पोलित ब्यूरो के सदस्य एमए बेबी ने एक इंटरव्‍यू में कहा कि ‘ये सही है कि हमने अपने पार्टी दस्तावेज में सांप्रदायिक और कट्टरपंथी ताकतों को लेकर आगाह किया है।’ हालांकि, उन्होंने दावा करते हुए ये भी कहा कि युवाओं और छात्रों का ‘कट्टरपंथी और आतंकवादी गतिविधियों’ की ओर जाने को संघ परिवार की गतिविधियों से भी जोड़कर देखना चाहिए।
सीपीएम ने दावा कि ये गतिविधियां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों के जवाब में हो रही हैं। उन्होंने कहा, ‘आरएसएस की गतिविधियों के जवाब में अल्पसंख्यक समुदाय का एक वर्ग भी उसी तरह के प्रतिशोध की ओर आकर्षित होगा और संघ परिवार की नकल करेगा।’ उन्होंने कहा, ‘हमें इस बात की ओर भी ध्यान देना चाहिए कई कथित मुस्लिम देशों की तुलना में भारत में मुस्लिम आबादी कहीं ज्यादा है।’ हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि केरल में जमात-ए-इस्लामी चरमपंथी ताकतों के पनपने का माहौल बना रही है।

जमात ने आरोपों को किया खारिज
वहीं, जमात-ए-इस्लामी हिंद ने इन आरोपों और दावों को खारिज कर दिया है। जमात के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने कहा कि ‘जमात-ए-इस्लामी हिंद के बारे में गलत धारणा बनाने की कोशिश राजनीतिक मजबूरी या राजनीतिक फायदे के लिए की जा रही है।’ उन्होंने दावा किया कि जमात का एजेंडा सांप्रदायिक और विभाजनकारी प्रकृति के खिलाफ रहता है।
तालिबान समर्थक भावनाएं बढ़ाने के आरोप को जमात ने बिना सबूत के झूठा प्रचार बताया है। जमात के सचिव सैयद तनवीर अहमद ने कहा कि ऐसे आरोप लगाने से पहले ठीक तरह से वेरिफाई कर लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह एक गलत धारणा और झूठा प्रोपेगेंडा भी हो सकता है।