उत्तराखंड राज्य की 70 विधानसभा सीटों के लिए कुल 755 उम्मीदवारों ने नामांकन (Nominations) दाखिल किया है. नामंकन दाखिल करने के आखिरी दिन कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत (Harish Rawat) समेत 307 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है. राज्य चुनाव कार्यालय के अनुसार सबसे ज्यादा 144 नामांकन देहरादून में और सबसे कम 15 चम्पावत जिले में हुए हैं. पिछले चुनाव में राज्य में 723 नामांकन दाखिल किए गए थे.
उत्तराखंड में दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा को सीट संख्या में बदलने के लिए बीजेपी और कांग्रेस जैसे प्रमुख राजनीतिक दलों ने इस बार फिर आम कार्यकर्ताओं की जगह परिवारवाद को तरजीह दी है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने प्रदेश के कुल 20 फीसदी से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में नेताओं के नजदीकी रिश्तेदारों पर ही भरोसा जताया है. प्रदेश में 70 विधानसभा सीट पर 14 फरवरी को होने वाले चुनाव में एक दर्जन से अधिक प्रत्याशी अपने माता-पिता, ससुर, भाई या पति के नाम का सहारा लेकर मतदाताओं का आशीर्वाद लेने का प्रयास कर रहे हैं.
कांग्रेस हरक सिंह रावत की बहू पर लगाया दांव
लैंसडौन सीट से कांग्रेस ने हाल में पार्टी में दोबारा शामिल हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं को चुनावी मैदान में उतारा है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि ‘दबंग’ छवि वाले हरक सिंह की चुनाव में जीतने की क्षमता का लाभ पार्टी को भाजपा से इस सीट को छीनने में जरूर मिलेगा. इस सीट पर अनुकृति का मुकाबला भाजपा के दो बार के विधायक दिलीप सिंह रावत से है, जिन्होंने 2012 में अपने पिता और क्षेत्र के कद्दावर नेता भारत सिंह रावत की राजनीतिक विरासत संभाली थी.
कांग्रेस ने अपनी कद्दावर नेता इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद हल्द्वानी सीट से उनके बेटे सुमित को टिकट दिया है और उन्हें उम्मीद है कि वह अपनी मां की परंपरागत सीट को पार्टी के कब्जे में बरकरार रखेंगे. देहरादून कैंट विधानसभा सीट पर रिकॉर्ड आठ बार विधायक रहे हरबंस कपूर के हाल में निधन के बाद भाजपा ने उनकी पत्नी सविता को चुनाव मैदान में उतारा है. सविता के साथ ही पार्टी को भी पूरा भरोसा है कि हरबंस कपूर के कद का चुनावी लाभ जरूर मिलेगा.
खानपुर से मैदान में चैंपियन की पत्नी
बीजेपी ने इसके अलावा खानपुर से विधायक कुंवर प्रणब सिंह चैंपियन की जगह उनकी पत्नी कुंवरानी देवयानी, काशीपुर से हरभजन सिंह चीमा की जगह उनके बेटे त्रिलोक सिंह को मैदान में उतारा है जबकि पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूरी की बेटी रितु खंडूरी को कोटद्वार से, पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बेटे सौरभ बहुगुणा को सितारगंज, पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवंगत प्रकाश पंत की पत्नी चंद्रा पंत को पिथौरागढ़, पूर्व विधायक दिवंगत सुरेंद्र सिंह जीना के भाई महेश जीना को सल्ट से टिकट दिया गया है.
कांग्रेस ने पार्टी महासचिव हरीश रावत की बेटी अनुपमा को हरिद्वार ग्रामीण से जबकि पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के बेटे संजीव को नैनीताल से उम्मीदवार बनाया है. भगवानपुर से विधायक और कांग्रेस के टिकट पर दूसरी बार चुनाव लड़ रहीं ममता राकेश क्षेत्र के दिग्गज नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवंगत सुरेंद्र राकेश की पत्नी हैं. काशीपुर से कांग्रेस ने पूर्व सांसद और विधायक केसी सिंह बाबा के बेटे नरेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया है. हरीश रावत भी स्वयं लालकुआं से जबकि यशपाल आर्य बाजपुर से चुनाव लड़ रहे हैं.
बेटे को टिकट मिलने पर क्या बोले हरभजन सिंह चीमा
दूसरी तरफ बेटे त्रिलोक को भाजपा का टिकट मिलने पर विधायक हरभजन सिंह चीमा ने कहा कि राजनीतिक परिवारों के बच्चों को राजनीति के क्षेत्र का अनुभव पहले से ही होता है. उन्होंने कहा कि मैंने चार चुनाव लडे़ और जीते हैं और सभी में मेरा बेटा साथ रहा है. इसके अलावा भी उसने मेरे राजनीतिक और सामाजिक क्रियाकलापों को नजदीक से देखा है और उनमें भाग लिया है.
यह पूछे जाने पर कि राजनीतिक नेता अपनी जगह अपने परिवार के अलावा किसी अन्य कार्यकर्ता को आगे क्यों नहीं बढ़ाते, चीमा ने कहा कि जब किसान का बेटा खेती करता है, दुकानदार का बेटा दुकान पर ही बैठता है तो नेताओं का बेटा राजनीति में क्यों नहीं जा सकता. उन्होंने कहा कि राजनीतिज्ञ का बेटा होना गुनाह तो नहीं हो सकता.