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कुतुब मीनार परिसर में पूजा करने की अपील पर कोर्ट ने टाला फैसला, जानें वजह

देश की राजधानी दिल्ली में स्थित कुतुब मीनार परिसर में हिंदुओं को पूजा करने की अनुमति मिलेगी या नहीं, इस पर आज यानी 9 जून को कोर्ट में फैसला नहीं हो सका. साकेत कोर्ट में एक नई याचिका दायर होने की वजह से कुतुब मीनार परिसर में पूजा करने के मांग वाली अपील पर फैसले का इंतजार 24 अगस्त तक बढ़ गया है. दिल्ली की साकेत कोर्ट ने कुतुब मीनार परिसर के अंदर हिंदू और जैन लोगों के पूजा की अनुमति मांगने वाली अपीलों पर अपने आदेश की घोषणा को 24 अगस्त के लिए टाल दिया है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 24 अगस्त को दोपहर 2 बजे होगी.

कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि कोर्ट में एक नई एप्लीकेशन का फैसला होने तक जजमेंट नहीं आएगा. हालांकि, कुतुब मीनार मसले पर साकेत कोर्ट में नई अर्जी दाखिल करने का हिंदू पक्ष समेत एएसआई ने विरोध किया. कोर्ट में दोनो पक्षों ने कहा कि नई अर्जी दाखिल करने के पीछे मामले में देरी करने का आधार है. नई अर्जी में कहा गया है कि याचिकाकर्ता महेन्द्र ध्वज प्रसाद सिंह तत्कालीन आगरा प्रांत के वारिस हैं और उस लिहाज से दक्षिणी दिल्ली के जमीन के भी वारिस हैं और यह मीनार उसी जमीन पर बनी हुई है, लिहाजा इनका पक्ष भी सुना जाना जरूरी है.

दरअसल, पिछली सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट में दायर हिंदू संगठन की याचिका में यह दावा किया गया है कि कुतुब मीनार परिसर में स्थित मस्जिद का निर्माण 27 हिंदू-जैन मंदिरों को तोड़कर किया गया था और वहां अभी भी देवी देवताओं की कई मूर्तियां हैं. इसलिए पूजा का अधिकार मिलना चाहिए.

दरअसल, दिल्ली स्थित कुतुब मीनार परिसर में हिन्दू देवताओं की पुर्नस्थापना और पूजा अर्चना का अधिकार मांगे जाने वाली याचिका पर 24 मई को साकेत कोर्ट में आज यानी मंगलवार को सुनवाई पूरी हुई थी. यहां बताना जरूरी है कि इस याचिका को सिविल कोर्ट ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद इसकी अपील अतरिक्त जिला न्यायाधीश की कोर्ट में की गई. इससे पहले सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष की ओर से कोर्ट में पेश हुए हरिशंकर जैन ने अयोध्या के राम मंदिर मसले का जिक्र कर कुतुब मीनार में पूजा की इजाजत मांगी, जबकि एएसआई ने याचिका का विरोध किया और खारिज करने की मांग की.

हिंदू पक्ष ने क्या दलील दी थी
कोर्ट में हरिशंकर जैन ने कहा कि मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया था. मस्जिद का निर्माण इस्लाम की ताकत दिखाने के लिए किया गया था. जैन ने आगे कहा कि कुतुब मीनार का इस्तेमाल नमाज अदा करने के लिए मुसलमान कभी नहीं करते. कोर्ट में दलील रखने के दौरान हरिशंकर जैन ने उस अधिसूचना का भी जिक्र किया, जिसके तहत कुतुब मीनार परिसर को स्मारक के रूप में अधिसूचित किया गया था. जैन ने कहा कि यहां 3 अपील हैं, जिसे मजिस्ट्रेट कोर्ट ने खारिज किया था. हमारे पास पुख्ता सबूत हैं कि 27 मंदिर को तोड़ कर यहां कुतुब मीनार बनाई गई है. उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिम ने कभी यहां नमाज नहीं पढ़ा.

साकेत कोर्ट ने सुरक्षित रख लिया था फैसला
इस मामले में साकेत कोर्ट की एडिशनल जिला जज ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. जिसे गुरुवार 9 जून को सुनाए जाने की संभावना है. हालांकि इसको लेकर पुरातत्व विभाग कोर्ट में कह चुका है कि याचिका का कोई औचित्य या आधार नही है. किसी को भी वहां धार्मिक आयोजन करने की अनुमति नही होनी चाहिए क्योंकि वो एक संरक्षित इमारत है. कोर्ट में सुनवाई के मद्देनजर दिल्ली पुलिस द्वारा कुतुब मीनार के अंदर और बाहर सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश दिया है.

हिंदू संगठन हो सकते हैं एकत्र, सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश
साकेत कोर्ट द्वारा कुतुब मीनार के अंदर हिंदू रीति रिवाज से मूर्ति पूजा के अधिकार के मसले पर फैसले के मद्देनजर कुतुब मीनार के अंदर और उसके आसपास सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने का निर्देश दिल्ली पुलिस और अर्ध सैनिक बलों को दिया गया है. दिल्ली पुलिस के सूत्र के मुताबिक, फैसले के दौरान हिंदू संगठनों से जुडे़ कुछ संगठन कुतुब मीनार के आसपास इकट्ठा हो सकते हैं, लिहाजा इसी वजह से सतर्कता हेतु अतिरिक्त जवानों को वहां तैनात किया गया है.