कानपुर में कार्डियोलॉजी अस्पताल के आईसीयू में रविवार सुबह आग लगने से हड़कंप मच गया। अस्पताल के फस्ट फ्लोर में स्थित आईसीयू में आग लगने के बाद सभी मरीजों को बाहर निकाला लिया गया है। कार्डियोलॉजी निदेशक प्रोफेसर विनय कृष्णा ने बताया कि स्थिति पर काबू पा लिया गया है। सभी मरीजों को शिफ्ट करा दिया गया है। वहीं, सूचना पर दमकर की सात गाड़ियां मौके पर पहुंच कर आग पर काबू पाने की कोशिश कर रहे हैं।
एसीपी महेंद्र सिंह ने बताया कि ग्राउंड फ्लोर के सभी मरीजों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। पहली मंजिल पर 9 मरीजों के फंसे होने की सूचना मिली है। उन्हें उसी मंजिल पर ट्रीटमेंट दिया जा रहा है। खिड़कियों के शीशे तोड़कर वेंटीलेशन की व्यवस्था कर दी गई है। धुआं कम होने पर ग्राउंड फ्लोर चेक किया जाएगा। ग्राउंड फ्लोर पर अभी किसी के फंसे होने की सूचना नहीं है।
एसीपी महेंद्र सिंह ने आगे बताया कि प्राथमिक जांच में पता चला है कि ग्राउंड फ्लोर पर स्थित स्टोर में शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगी थी। फायर सर्विस के लोग जांच कर बताएंगे कि आग लगने की क्या वजह रही। वहीं, इस हादसे के बाद कानपुर के पुलिस कमिश्नर असीम अरुण भी मौके पर पहुंचे गए हैं।
पुरानी बिल्डिंग से 140 मरीज निकाले गए
पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने बताया कि पुरानी बिल्डिंग में करीब 140 मरीज थे। सभी को सुरक्षित निकाल लिया गया है। बिल्डिंग की जांच की जा रही है अभी तक किसी के फंसे होने की सूचना नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि आग की वजह से किसी की मौत और जख्मी होने की सूचना नहीं मिली है। एहतियात के तौर पर 10 एंबुलेंस लगाई गई हैं। नई बिल्डिंग में अस्थाई तौर पर मरीजों को शिफ्ट कर दिया गया है। ऑक्सीजन स्कोप एंड सिस्टम भी पहुंचा दिए गए हैं।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने लिया संज्ञान
वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस दुर्घटना को तत्काल संज्ञान में लेते हुए जिला प्रशासन से सभी घायलों को समुचित इलाज कराने तथा इस संबंध में तथ्य प्रस्तुत करने के निर्देश दिया है। इसके साथ-साथ जांच के लिए उन्होंने एक उच्च स्तरीय समिति डी. जी.फायर सर्विस, आयुक्त कानपुर मंडल और प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा की गठित की है, जो तत्काल मौके पर जाकर संपूर्ण तथ्यों की जांच करेगी। सीएम ने यह भी निर्देश दिए हैं कि जैसे पूर्व में सभी अस्पतालों में अग्निशमन सेवाओं को सुदृढ़ करने के निर्देश दिए गए थे पर पुनः से सभी अस्पतालों में जांच करा ली जाए ताकि इस तरह की दुर्घटना कहीं अन्य अस्पताल में न हो।