उत्तर प्रदेश के कानपुर में यूपी पुलिस और हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के गिरोह के बीच हुई मुठभेड़ ने पूरे देश में हंगामा मचा दिया। इस मुठभेड़ में आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए। तो वहीं, विकास दुबे भागने में सफल रहा। जिसके बाद अब एसटीएफ इस मामले में कड़ी जांच कर रही है। जिसमे कई बड़े खुलासे हो रहे है। जहां इस मामले में पुलिसकर्मियों पर ही सवाल खड़े हो रहे है तो साथ ही अब आठ पुलिसकर्मियों के शहीद होने की असल वजह का खुलासा भी हुआ है। जिससे यूपी पुलिस की व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए है। दरअसल विकास दुबे किस स्तर का अपराधी है। इस बात की जानकारी दबिश करने गई टीम के अलावा अधिकारियों को भी नहीं थी। जिस वजह से आज यूपी को अपने आठ पुलिसकर्मी खोने पड़े।
पुलिस की एक गलती
जानकारी के मुताबिक, विकास दुबे के काले साम्राज्य की जानकारी ठीक से किसी को नहीं थी। न तो विकास गुप्ता के बारे में शहीद हुए सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्रा को जानकारी थी क्योंकि सीओ उस क्षेत्र में नए थे और न ही एडीजी जोन को विकास गुप्ता के बारे में पूरी जानकारी थी। हालांकि एसओ चौबेपुर विनय तिवारी को विकास गुप्ता के काले कारनामों के बारे में पूरी तरह पता था लेकिन उसने किसी को बताने की जरूरत नहीं समझी। जिस वजह से देवेन्द्र मिश्रा के नेतृत्व में तीन थानों की फोर्स बिकरू गांव बिना किसी तैयारी के पहुंच गई। इस दौरान बिना किसी तैयारी के ही पुलिसकर्मियों ने विकास गुप्ता को पकड़ने का फैसला लिया और यही फैसला पुलिसकर्मियों की सबसे बड़ी गलती साबित हुआ।
विकास की नहीं थी पूरी जानकारी
पुलिस की टीम ने विकास गुप्ता को काफी हल्के में ले रखा था और इसी हिसाब से टीम ने मामूली दबिश करके उसे गिरफ्तार करने की कोशिश की। इस दौरान सीओ और तीन थानों की पुलिस फोर्स बिना बॉडी प्रोटेक्टर के विनय दुबे के घर पर पहुंची। इस दौरान उनके पास सुरक्षा उपकरण भी नहीं थे और कई पुलिसकर्मी अलर्ट पोजीशन में नहीं थे। इतना ही नहीं, पुलिस ने खुद को चारों हिस्सों में बांटा भी नहीं था। पुलिस की यही चूक आज भारी पड़ गई। विकास दुबे के गुंडों ने पुलिस को देखते ही उन पर हमला किया। इस दौरान उन्हें संभलना तो दूर अपनी जान बचाने का मौका भी नहीं मिला। विकास दुबे के लोगों ने पुलिसकर्मियों को चारों तरफ से घेर लिया। और सब पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी।
विकास का मुखबिर-तंत्र
बता दें कि विकास दुबे ने अपने साम्राज्य में मुखबिरों की पूरी फौज खड़ी कर रखी है। जानकारी के मुताबिक, सिर्फ सूचना पहुंचाने के लिए उसके पास 600 से ज्यादा युवाओं की फौज है। ये सभी लोग विकास को पुलिस, प्रशासन, पीडब्ल्यूडी, नगर निगम, केडीए हो या अन्य कोई भी सरकारी विभाग, सभी जगह की सूचना लाकर देते है। इतना ही नहीं, यहीं लोग विकास से मिलने वालों को संभालते है और फिर उन्हें कमीशन के रूप में पैसा देते है। वहीं, दूसरी तरफ पुलिस का मुखबिर तंत्र अब पूरी तरह खत्म हो गया है। पुलिस सिर्फ आधुनिक संसाधनों पर आश्रित है लेकिन विकास गुप्ता ने अपने मुखबिर को कई टीम में बांट रखा है। जिसमें 10-12 इलाकों पर एक इंचार्ज है। ये लोग विकास को इलाके की खबर लाकर देते है। बदले में विकास भी इन लड़कों पर पानी की तरह पैसा बहाता है। इनकी दवा से लेकर दारू तक सारा इंतजाम विकास करता है।