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ऑफ स्पिनर भज्जी को याद आई अपनी एतिहासिक ‘हैट्रिक’, बताया शानदार टर्निंग पॉइंट

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट मैच (Ind-Aus Test Match) एडिलेड में 17 दिसंबर से शुरू होने वाला है। पहला मैच खेलते ही विराट कोहली पितृत्व अवकाश पर चला जाएंगे। उनकी जगह भारतीय टीम की कप्तानी अजिंक्य रहाणे संभालेंगे। इस बीच, ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह उर्फ भज्जी को अपने समय का भारत और ऑस्ट्रेलिया का टेस्ट मैच याद आ गया। हरभजन सिंह ने अपने हालिया इंटरव्यू में 2001 का भारत-ऑस्ट्रेलिया मैच का अनुभव सुनाया और बताया कि कैसे उस टेस्ट मैच की हैट्रिक ने एक पल में जिंदगी बदल दी थी। लोग उन पर अचानक से भरोसा करने लगे थे। बता दें कि, 2001 में ईडन गार्डन्स स्टेडियम में हुए भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए मैच ने भारतीय टीम के अंदर अलग आत्मविश्वास पैदा कर दिया था।

इस टेस्ट मैच के दौरान टीम की कप्तानी सौरव गांगुली कर रहे थे। इस मैच के दौरान वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ के बीच हुई ऐतिहासिक साझेदारी को माना जाता है, लेकिन बुनियाद ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह की हैट्रिक ने रखी थी। भज्जी ने तीन बॉल पर लगातार तीन विकेट लिए थे। उस वक्त भज्जी का शुरुआती करियर था। जब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भज्जी बॉलिंग करने आए थे, तो उस वक्त ऑस्ट्रेलिया के पास 252 रन पर 4 विकेट था, लेकिन लगातार भज्जी ने तीन बॉल पर तीन विकेट लिए और तीन बॉल के बाद ऑस्ट्रेलिया का रन 252 पर 7 विकेट था। भज्जी के इस हैट्रिक ने उनकी लाइफ में एक नया टर्निंग पॉइंट लाया था।

उस दौर को याद करते हुए भज्जी ने कहा, ‘मेरे जीवन में वो काफी अहम पल था। उस हैट्रिक ने मुझे काफी पहचान दी, काफी भरोसा दिया कि मैं यह कर सकता हूं। मुझे लगा कि, अगर मैं इन खिलाड़ियों के खिलाफ कर सकता हूं तो मैं किसी भी टीम के खिलाफ अच्छा कर सकता हूं। यह मेरे लिए बेहद जरूरी था, क्योंकि जैसा मैंने कहा कि इसने मुझे काफी पहचान दिलाई और लोग मुझ पर अचानक से भरोसा करने लगे। उन्हें लगा कि यह लड़का कर सकता है। वो सीरीज और हैट्रिक मेरे जीवन का टर्निंग प्वॉइंट साबित हुई।’

ऑफ स्पिनर ने आगे कहा, ‘ईमानदारी से कहूं तो मैंने हैट्रिक के बारे में ज्यादा कुछ नहीं सोचा था। मैं अपनी सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी करना चाहता था। उस समय डीआरएस नहीं हुआ करता था और अगर आप जानबूझकर गेंद को पैड से खेलते हैं तो एलबीडब्ल्यू आउट नहीं दिया जाता था। अगर गेंद टर्न करती थी तो कई सारे बल्लेबाज अपने पैड से गेंद को खेलते थे। बल्लेबाज कैचिंग फील्डर से बचने के लिए बल्ले के बजाए पैड से गेंद को खेलते थे। हमारी रणनीति थी कि मैं फुल लेंग्थ पर गेंदबाजी करूंगा। पोंटिंग, गिलक्रिस्ट के बाद जब वॉर्न खेलने आए तो हरभजन ने सोचा कि वह भी एलबीडब्ल्यू से बचने के लिए पैड से गेंद को रोके।

हरभजन ने कहा, ‘मुझे लगा कि मुझे फुल लेंग्थ पर गेंदबाजी करनी चाहिए। वह उनकी पहली गेंद थी। मुझे लगा कि वह पैड से गेंद को रोकने की कोशिश करेंगे। मैंने फुल गेंद डाली और उन्होंने गेंद को फ्लिक कर दिया और रमेश ने शायद उनके जीवन का सबसे बड़ा कैच लपका जिसने मेरी जिंदगी बना दी। यह मैदान पर मौजूद हर इंसान के लिए जश्न का मौका था। मैं यह देख सकता था क्योंकि राहुल ने जिस तरह रमेश को गले लगाया और वह जिस तरह से हैट्रिक का जश्न मना रहे थे। टीम यही होती है। वह लोग ऐसे जश्न मना रहे थे कि मानो उन्हीं ने हैट्रिक ली हो।’