अभी-अभी युद्ध के संकट से निकला आर्मेनिया अब नए संकट में संकट में फंस सकता है। युद्ध के बाद से आर्मेनिया अपनी चीजों को सही करने में लगा है। यहां के प्रधानमंत्री निकोल पशिनयान ने चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि आर्मेनिया में सेना तख्तापलट का प्रयास कर सकती है। हाल ही में देश की सेना ने कहा था कि निकोल और उनकी कैबिनेट को निश्चित रूप से इस्तीफा देना चाहिए। राजधानी येरेवान में एकत्र हुए हजारों समर्थकों को संबोधित करते हुए निकोल ने कहा कि सेना को निश्चित रूप से जनता और चुने हुए प्राधिकरण की बात माननी होगी।’ वहीं उनके विरोधियों ने एक और रैली आयोजित की।
दरअसल, सेना के शीर्ष अधिकारी इस बात से नाराज हैं कि प्रधानमंत्री ने उनके शीर्ष कमांडर को बर्खास्त कर दिया। अजरबैजान के हाथों बुरी तरह से हार के बाद पीएम निकोल भारी विरोध का सामना कर रहे हैं। नागोर्नो-कराबाख को लेकर छिड़ी इस जंग में आर्मीनिया को काफी हिस्सा खोना पड़ा है। इसमें बेहद अहम शूशा कस्बा भी शामिल है। रूस की मध्यस्थता के बाद हुए समझौते अब इस इलाके में रूस के हजारों सैनिक तैनात हैं। उधर, अपने बचाव में पीएम निकोल ने कहा कि उन्हें लगता है कि सेना का पहले दिया गया बयान सैन्य तख्तापलट का प्रयास है।
निकोल ने अपने समर्थकों से कहा कि वे राजधानी येरेवान के केंद्र में स्थित रिपब्लिक चौक पर जमा हों। इसके बाद हजारों की तादाद में लोग रिपब्लिक चौक पर जमा हो गए। निकोल ने कहा कि सेना एक राजनीतिक संस्थान नहीं है और राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल होने का प्रयास अस्वीकार्य है। हालांकि उन्होंने विपक्ष को न्यौता दिया कि वह संकट के समाधान के लिए वार्ता की मेज पर आए। पीएम ने जोर देकर कहा कि सत्ता में बदलाव केवल चुनाव के जरिए ही होना चाहिए।