रिपोर्ट- सुरेंद्र सिंघल, वरिष्ठ पत्रकार, लखनऊ।।
लखनऊ (दैनिक संवाद न्यूज)। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आज जिस समाज का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं वैसा नेतृत्व उत्तर प्रदेश और देश में किसी भी राजनीतिक दल के पास नहीं है। हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश की जागरूक जनता ने अखिलेश यादव की विकल्प की राजनीति और रणनीति पर भरोसा करते हुए भाजपा को अपने दम पर बहुमत प्राप्त करने से महरूम कर दिया। यह विचार आज समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता, एमएलसी, पूर्व मंत्री और उत्तराखंड के प्रभारी राजेंद्र चौधरी ने वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र सिंघल के साथ खास बातचीत में व्यक्त किए।
राजेंद्र चौधरी ने आज वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र सिंघल से उत्तर प्रदेश की मौजूदा सियासत पर लंबी बातचीत की। समाजवादी आंदोलन के अगुवा रहे 75 वर्षीय राजेंद्र चौधरी जिनके राजनीतिक जीवन की शुरूआत भारत रत्न चौधरी चरण सिंह ने 1974 में उन्हें गाजियाबाद से विधानसभा का लोकदल का टिकट देकर की थी। चौधरी चरण सिंह ने सतपाल मलिक को बागपत से टिकट दिया था। मलिक जीत गए थे और राजेंद्र चौधरी हार गए थे। 1977 में राजेंद्र चौधरी गाजियाबाद से पहली बार विधायक बने। उनकी पूरी सियासत चौधरी चरण चरण सिंह की छाया में आगे बढ़ी और 1987 में लोकदल का विभाजन हो जाने के बाद राजेंद्र चौधरी को लंबे समय तक मुलायम सिंह यादव के साथ काम करने का मौका मिला। वह अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहने के दौरान उनकी सरकार में कई विभागों के काबिना मंत्री रहे।
राजेंद्र चौधरी को चौधरी देवीलाल, कर्पूरी ठाकुर, हेमवती नंदन बहुगुणा, शरद यादव, केसी त्यागी के साथ काम करने का सौभाग्य प्राप्त है। राजेंद्र चौधरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश की मौजूदा सियासत में समाजवादी पार्टी के सिद्धांत और नीतियां भारतीय राजनीति में मजबूत विकल्प की अवधारणा को पुष्ट कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में सपा ने सबसे ज्यादा 37 लोकसभा सीटें जीतीं और उनके गठबंधन सहयोगी कांग्रेस को छह सीटें प्राप्त हुईं। जबकि जयंत चौधरी के नेतृत्व वाला रालोद ऐन चुनाव के मौके पर इंडिया गठबंधन से छिटककर भाजपा के साथ चला गया था। राजेंद्र चौधरी को इस बात का मलाल है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद और जयंत चौधरी को खड़ा करने में अखिलेश यादव की बड़ी भूमिका रही। उन्होंने डिंपल यादव के बजाए जयंत चौधरी को राज्यसभा में भेजा था। चंदन चौहान जैसे प्रतिभाशाली,
नौजवान युवा नेता को अपनी पार्टी के बजाए रालोद के निशान पर चुनाव लड़ाया और जिताया था। आज चंदन चौहान बिजनौर से लोकसभा से रालोद के सांसद हैं।
राजेंद्र चौधरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश की जागरूक जनता ने अखिलेश यादव की चुनावी रणनीति को समझा और अपना भरपूर समर्थन दिया। अखिलेश यादव ने अकेले जिताऊ प्रत्याशियों का चयन किया। कारगर चुनाव रणनीति बनाई और बीजेपी की भगवा रणनीति का मजबूत विकल्प प्रस्तुत किया। उन्होंने सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता का मार्ग चुना। राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि 2022 में यदि चुनाव में बड़े पैमाने पर सत्ता का दुरूपयोग ना किया गया होता तो उस समय सपा की सरकार बनती। लोगों ने इस लोकसभा चुनाव में अपने गुस्से का इजहार किया।
समाजवादी पार्टी के खेमे में पिछड़ा वर्ग, दलित समुदाय, अल्पसंख्यक वर्ग के साथ-साथ अधिकारों और अवसरों से वंचित उच्च समाज के लोगों ने अखिलेश यादव का भरपूर साथ दिया। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के रूप में राजपूत नेतृत्व होने के बावजूद राजपूतों ने सपा और इंडिया गठबंधन का रूख किया। उत्तर प्रदेश के मतदाताओं ने भाजपा की और नरेंद्र मोदी की धर्म की राजनीति को स्वीकार नहीं किया। यह भाग्य राजनीति के लिए स्वस्थ और अच्छे संकेत हैं। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी लोकसभा में भाजपा-कांग्रेस के बाद तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है। सपा और अखिलेश यादव दोनों का भविष्य उज्जवल और बेदाग है। भविष्य में प्रदेश और देश इसी राजनीतिक मार्ग का अनुशरण करेंगे।