उत्तर पश्चिम भारत (North West India) में बरसात का मौसम (rainy season) विस्तारित हो रहा है। मानसून (monsoon) के देर से छंटने के साथ-साथ पोस्ट मानसून बारिश (post monsoon rain) की गतिविधियां अक्तूबर के तीसरे हफ्ते तक जा रही हैं, जबकि समूचे उत्तर-पश्चिम भारत से अक्तूबर के पहले हफ्ते में यह खत्म हो जाती थीं। पर अब राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, यूपी समेत कई राज्यों में मानसून की अवधि लंबी हो रही है।
जलवायु विज्ञानियों (climatologists) का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) से मानसून प्रभावित हुआ है। मानसून में बारिश देने वाले सिस्टम तब बन रहे हैं, जब मानसून के विदा होने का वक्त होता है।
आंकड़ों का विश्लेषण
मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 1901-1940 तक के आंकड़ों के आधार पर यह नतीजा निकाला गया कि मानसून के छंटने की शुरुआत राजस्थान से एक सितंबर के आसपास शुरू होती है, लेकिन यह देखा गया है कि इसमें बदलाव दिख रहा है। 1971-2019 के दौरान के मानसून के छंटने के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया।
मानसून के छंटने की औसत तारीख 17 सितंबर
इस विश्लेषण के आधार पर यह नतीजा निकाला गया कि मानसून के छंटने की औसत तारीख 17 सितंबर है। इस प्रकार 2020 में जारी एक आदेश में मौसम विभाग ने मानसून के छंटने की नई तिथि 17 सितंबर निर्धारित कर दी।
2019 में रिकॉर्ड बना
2019 में मानसून ने राजस्थान से 9 अक्तूबर से छंटना शुरू किया। यह सर्वाधिक देरी का रिकॉर्ड है। 1963 में एक अक्तूबर से मानसून के छंटने का रिकॉर्ड है। 2020 में मानसून 28 सितंबर से और 2021 में छह अक्तूबर से छंटना शुरू हुआ। जबकि 5 अक्तूबर तक मानसून समूचे उत्तर भारत से विदा हो जाना चाहिए।
16 दिन विस्तारित
उत्तर भारत में बरसात के मौसम को 16 दिन विस्तारित किया जा चुका है। लेकिन, रुझान बता रहे हैं कि मानसून लंबे समय तक टिक रहा है। उत्तर पश्चिमी राज्यों में मानसून, जो राजस्थान में डेढ़ महीने और पूर्वी यूपी में करीब तीन महीने रहता था। अब राजस्थान में दो महीने से अधिक और पूर्वी यूपी में करीब चार महीने तक टिक रहा है।
मौसम में कई बदलाव
– जून में भारी बारिश की घटनाओं में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि
– उत्तर-पश्चिम भारत में मानसून के आगमन में देरी
– उत्तर-पश्चिम भारत में मानसून देर तक सक्रिय
– 24 घंटे के दौरान 20 सेमी या उससे ज्यादा बारिश की घटनाएं
– लगातार कई घंटों तक होने वाली रिमझिम बारिश घटी
– सौराष्ट्र, विदर्भ जैसे कम बारिश वाले इलाकों में बरसात बढ़ रही
– सर्वाधिक बारिश वाले पूर्वोत्तर के इलाकों में बारिश की मात्रा घट रही
– ज्यादा बारिश वाले स्थान चेरापूंजी और धर्मशाला अपना दर्जा खो रहे रहे हैं।
इस बार क्या हुआ?
मानसून ने 20 सितंबर से राजस्थान से छंटना शुरू किया, लेकिन 28 सितंबर तक कोई प्रगति नहीं हुई। तीन अक्तूबर को पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर से मानसून छंटा, लेकिन उसके बाद से प्रक्रिया ठप रही।
क्या होगा असर?
– जुलाई में मानसून के आगमन में देरी के कारण कई इलाकों में धान की पछेती किस्में लगानी पड़ रही हैं या फिर अन्य फसलें बोई जा रही हैं
– देर तक मानसून के सक्रिय रहने के कारण खरीफ की फसलों की बुवाई में विलंब होगा, क्योंकि खेतों को तैयार करने के लिए उपयुक्त समय नहीं मिलेगा
– जो फसलें तैयार हो रही हैं, अचानक बेमौसम भारी बारिश उन्हें क्षति पहुंचा रही हैं? फसल चक्र में बड़े बदलाव का खतरा
– सितंबर आखिर से लेकर अक्तूबर मध्य तक बारिश जारी होने से उत्तर भारतीय राज्यों में डेंगू जैसी बीमारियां बढ़ रही
जानें एक्सपर्ट्स की राय
वरिष्ठ वैज्ञानिक आर. जेनामिण कहते हैं कि तीन-चार दिनों में बारिश की गतिविधियां कम होंगी। पूर्वी यूपी व दूसरे हिस्सों से मानसून छंटने की प्रक्रिया तेज होगी, बशर्ते कि कोई नया सिस्टम नहीं बने।
जलवायु विज्ञानी महेश पलावत ने कहा कि मानसून छंटने की प्रक्रिया के दौरान लगातार सिस्टम बनने से बारिश हुई। बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव क्षेत्र बना। आंध्र प्रदेश के तट से लेकर उत्तराखंड तक मानसून टर्फ बनी। अब पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहा है।
मौसम विभाग के महानिदेशक डॉक्टर मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि मानसून छंटने में देरी जरूर हुई है, लेकिन पोस्ट मानसून बारिश नई घटना नहीं है। पिछले वर्ष अक्तूबर के तीसरे सप्ताह तक बारिश हुई थी।