नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को प्रवर्तन निदेशालय ने एक नया समन जारी किया है। इसके अनुसार उन्हें 13 जून को ED के समक्ष पेश होना है। इससे पहले उन्हें 2 जून को बुलाया गया था लेकिन केरल के वायनाड सीट से लोकसभा सदस्य राहुल गांधी ने इसके लिए दूसरी तारीख की मांग की थी क्योंकि वह देश से बाहर थे। अधिकारियों ने बताया कि 51 वर्षीय राहुल गांधी को अब 13 जून को फेडरल एजेंसी के मुख्यालय में बुलाया गया है। वहीं कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को 8 जून को तलब किया गया था। बता दें कि इस मामले को 2015 में जांच एजेंसी ने बंद कर दिया था।
कांग्रेस का भाजपा पर आरोप, कहा- कर रहे बदले की राजनीति
ईडी द्वारा कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल को समन जारी करने पर कांग्रेस ने भाजपा पर हमला बोला था। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला और अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस नेताओं को यह समन भाजपा द्वारा विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए प्रतिशोध और बदले की राजनीति है जैसा कि वह देश के अन्य विरोधियों के साथ करती आई है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि इसका कोई मामला नहीं बनता है क्योंकि मामले को 2015 में बंद कर दिया गया था।
एक नवंबर 2012 को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में सुब्रमण्यम स्वामी ने मामले में केस दायर किया था। इस मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के अलावा वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, आस्कर फर्नांडिस, सुमन दुबे और सैम पित्रोदा आरोपित बनाए गए। मोतीलाल वोरा व आस्कर फर्नांडिस का निधन हो चुका है। अब यह मामला वर्तमान में राउज एवेन्यू स्थित विशेष अदालत में चल रहा है। आरोप है कि यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड ने एसोसिएटेड पत्रिकाओं के 90.25 करोड़ रुपये की वसूली का अधिकार प्राप्त किया, जबकि इस अधिकार को पाने के लिए सिर्फ 50 लाख रुपये का भुगतान किया गया था।
एक दशक से विवादों के घेरे में यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
वर्ष 2010 में बनाई गई कंपनी यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड बीते एक दशक से विवादों के घेरे में है और इस मामले को सबसे पहले साल 2012 में राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने उठाया। उन्होंने कांग्रेस आलाकमान पर हेराफेरी का आरोप लगाते हुए दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत में शिकायत दी थी। इस मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने 19 दिसंबर 2015 को कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत सभी आरोपितों को नियमित जमानत दी थी। आयकर विभाग और ईडी ने भी संज्ञान लेते हुए मामले की जांच शुरू कर दी। वर्ष 2014 में दर्ज हुए मामले में ईडी ने वर्ष 2019 में 64 करोड़ रुपये की संपत्ति भी सीज की थी।