नागालैंड के कोंयक आदिवासी दुनिया में हेड हंटर के नाम से भी जाने जाते हैं। वहां अगर कोई भी अपने दुश्मन का सर काट कर लाता है तो उसे बहतु ही गर्व की बात समझा जाता है और गांव वालों को भरोसा दिलाने के लिए भी सर काट कर गांव में लाया जाता था। कोंयक आदिवसी पहाड़ो की चोटी पर रहते हैं। इसलिए वे वहां से आसानी से अपने दुश्मनों पर नजर रख सकते थे। उस समय हेड-हंटिंग एक सांस्कृतिक घटना ही नहीं बल्कि एक शुद्ध विवादित विषय था।
आज हेड-हंटिंग लगभग खत्म हो चुका है इसके कई कारण है जिसमे नागाओ के बीच भूमि विवाद और सरकारो द्वारा जंगलो की सफाई और बाहरीलोगो को जंगल मे घुसपैठ। कोंयाक आदिवासियों को बेहद खूंखार माना जाता है. अपने क़बीले की सत्ता और ज़मीन पर क़ब्जे के लिए वे अक्सर पड़ोस के गांवों से लड़ाईयां किया करते थे.हत्या या दुश्मन का सिर धड़ से अलग करने को यादगार घटना माना जाता था और इस कामयाबी का जश्न चेहरे पर टैटू बनाकर मनाया जाता था.ये कबीला और ये गांव शुरू से ही दोनो देशों के लिए परेशानी का सबब है। दरअसल, इन कबीलों में होने वाली लडाई ने काफी खूनखराबा मचा रखा है और हर पल दहशत का माहौल बना रहता है। दोनो ही देशो के लिए ये गांव काफी परेशानी वाला बनता जा रहा है। इन आदिवासियों का आधा गांव भारत में तो आधा गांव म्यामांर में आता है और इस गांव का नाम है लोंगवा। इस गांव के सभी लोग काफी खुंखार माने जाते है।