कोलकाता। क्रांति और राजनीति की भूमि रहे पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के जिस ब्रिगेड परेड मैदान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा 07 मार्च को होनी है वह औपनिवेशिक काल से ही परिवर्तन का वाहक रहा है। आजादी के दीवानों से लेकर राजनीति के धुरंधरों तक ने इस मैदान में ताल ठोका है। आजादी के पहले से ही यहां क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के खिलाफ दहाड़ लगाई थी और उसके बाद के सालों में भी बंगाल में सत्ता परिवर्तन से लेकर राजनीतिक परिवर्तन की पृष्ठभूमि यहीं से बनती रही है।
पार्टी को जनसभा करने से गर्व की अनुभूति होती रही
चुनाव के दौरान इस मैदान पर हर एक पार्टी को जनसभा करने से गर्व की अनुभूति होती रही है। जनसभाओं के दौरान इस मैदान पर होने वाली भीड़ राज्य में राजनीतिक दलों की भविष्य की तस्वीर स्पष्ट कर देती है। बंगाल के राजनीतिक गलियारों में कहा जाता है कि ब्रिगेड परेड मैदान पर जिस राजनीतिक पार्टी की जनसभा सबसे बड़ी होगी, राज्य की सत्ता उसी के हाथ होती है।
10 लाख लोगों की भीड़ जुटाने का लक्ष्य
भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 07 मार्च को होने वाली जनसभा में कम से कम 10 लाख लोगों की भीड़ जुटाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। अगर यह संख्या मूर्त रूप लेती है तो यह ब्रिगेड परेड मैदान के इतिहास की सबसे बड़ी भीड़ होगी।
इंटरनेट पर अगर इस मैदान की राजनीतिक जनसभाओं में हुई भीड़ की तस्वीरें खोजी जाएं तो वाममोर्चा के शासनकाल की एक तस्वीर बहुचर्चित है, जिसमें पूर्वी सेना कमान के अधीनस्थ इस मैदान के कोने-कोने में लोगों का जनसैलाब उमड़ा हुआ नजर आता है। उसके बाद इस राजनीतिक भूमि पर वैसी भीड़ फिर कभी देखने को नहीं मिली।
2019 में भी राजनीतिक दलों ने किया था जमघट
2019 के लोकसभा चुनाव के समय भी वामदलों ने यहां देशभर से अपने पुरोधा नेताओं को बुलाकर रैली की थी लेकिन भीड़ कुछ खास नहीं थी।
21 जनवरी 2019 को लोकसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी ने भी पूरे विपक्ष की आगवानी की कोशिश की थी और इसी ब्रिगेड परेड मैदान पर देशभर के विपक्षी नेताओं को एकत्रित कर केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की कोशिश की थी। हालांकि उनकी जनसभा में भी कुछ खास भीड़ नहीं हुई थी और लोकसभा चुनाव के परिणाम भी उसके हाल बता चुके हैं। तब ममता को अपनी ही 11 सीटें गंवा कर 22 पर संतोष करना पड़ा था।
2019 में भी पीएम की सभा में उमड़ी थी भारी भीड़
हालांकि लोकसभा चुनाव के समय भी इस मैदान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा हुई थी, जिसमें ममता और वामदलों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक भीड़ हुई थी और इसका असर भी देखने को मिला। 2014 में महज दो सीटों पर सिमटी भाजपा 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य के 42 में से 18 सीटों पर शानदार जीत दर्ज करने में सफल हुई थी और अब सत्ता का विकल्प बनकर आगे बढ़ रही है।
इंग्लैंड के तीसरे किंग विलियम के लिए बना था फोर्ट विलियम
राजनीतिक पृष्ठभूमि का सूत्रधार रहे इस ऐतिहासिक मैदान की पृष्ठभूमि भी ऐतिहासिक ही है। 1857 की क्रांति में प्लासी का युद्ध जीतने के बाद अंग्रेजों ने पश्चिम बंगाल पर अपना शासन स्थापित कर दिया था और इसी मैदान की जमीन पर फोर्ट विलियम महल बनाया था। इस महल में इंग्लैंड के तीसरे किंग विलियम रहते थे और उन्हीं की फौज यहां से पूरे भारत में शासन करती थी। उसी सेना के अधीन यह मैदान रहा है।
चितरंजन दास, नेताजी और नेहरू भी कर चुके हैं सभा
इस ऐतिहासिक मैदान पर पहली क्रांतिकारी जनसभा1919 को हुई थी, जिसमें मशहूर स्वतंत्रता सेनानी देशबंधु चितरंजन दास सहित कई अन्य क्रांतिकारियों ने ओजस्वी भाषण दिए थे। इसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू और नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी शामिल थे। उसके बाद 1955 में सोवियत के प्रीमियम निकोलाई बुल्गानिन और सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी के पहले सचिव निकिता ख्रुश्चेव के सम्मान में इस ब्रिगेड परेड मैदान पर भव्य आयोजन हुआ था।
इसमें भारत के पहले प्रधानमंत्री के तौर पर जवाहरलाल नेहरू शामिल हुए थे। तब देश की आजादी के बाद फोर्ट विलियम सेना के पूर्वी कमान का मुख्यालय बन गया था और यह मैदान अमूमन सैनिकों की ट्रेनिंग, अभ्यास और अन्य सैन्य गतिविधियों के लिए इस्तेमाल होता था।
इंदिरा गांधी भी कर चुकी हैं सभा
भारतीय सैनिकों की मदद से 1972 में जब पाकिस्तान की सेना हार गई थी तब बांग्लादेश का निर्माण हुआ था, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मौजूदगी में इसी ब्रिगेड परेड ग्राउंड पर एक बड़ी सभा हुई थी। यहां इंदिरा ने बांग्लादेश में राष्ट्रपिता के तौर पर मशहूर और पहले प्रधानमंत्री मुजीब-उर-रहमान का सम्मान किया था।
तृणमूल के गठन से पहले ममता ने भी इसी मैदान से किया था शंखनाद
1998 में तृणमूल कांग्रेस के गठन से पहले ममता बनर्जी कांग्रेस युवा इकाई की राज्य अध्यक्ष थीं और 1992 में यूथ कांग्रेस नेता के तौर पर इसी ब्रिगेड परेड ग्राउंड पर ममता ने बंगाल से माकपा को उखाड़ फेंकने का ऐलान किया था। उसके बाद से समय-समय पर प्राय: हर एक चुनाव में वामपंथी पार्टियों ने इस मैदान में बड़ी जनसभाएं की है।
अब बंगाल में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन की लहर है और इसी मैदान पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जनसभा होने जा रही है। 07 मार्च को देखने वाली बात होगी कि पीएम की जनसभा में कितनी भीड़ उमड़ती है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि अगर इस मैदान में पांच लाख कम भीड़ होती है तो वह पार्टी कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाती लेकिन अगर यहां जुटने वाले लोगों की संख्या पांच लाख को पार कर जाती है तो उस पार्टी का प्रदर्शन चुनाव में हमेशा बेहतर रहा है।