माघ महीने के शुक्ल पंचमी को बसंत पंचमी होती है. देश में इस दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है. बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है. इस बार बसंत पंचमी 16 फरवरी को है. इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से बल और बुद्धि मिलती है. इस दिन शुभ कार्यों को किया जाता है.
बसंत पंचमी पर बन रहा है शुभ योग
बसंत पंचमी का पर्व इस बार बहुत खास है. इस बार बसंत पंचमी पर खास योग बन रहा है और ग्रहों की चाल में भी बदलाव है. हिंदू पंचाग के अनुसार, इस बार अमृत सिद्धि योग और रवि योग का संयोग बन रहा है. इसकी वजह से पर्व का महत्व और ज्यादा बढ़ गया है. इस बार बसंत पंचमी पर रेवती नक्षत्र है जो बुध ग्रह का नक्षत्र माना जाता है. ज्योतिषों के मुताबिक, बुध ग्रह को ज्ञान और बुद्धि का कारक माना जाता है.
बंसत पंचमी शुभ मुहूर्त पूजा का शुभ मुहूर्त : 16 फरवरी को 3 बजकर 36 मिनट पर शुरू हो रहा है जो 17 फरवरी को सुबह 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा. 16 फरवरी को सुबह 6 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट के बीच सरस्वती पूजा का विशेष मुहूर्त है.
कब शुरु हुई बसंत पंचमी
बसंत पंचमी के दिन ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा होती है. पौराणिक कथा के अनुसार, श्री कृष्ण ने देवी सरस्वती से खुश होकर वरदान दिया कि बसंत पंचमी के दिन तुम्हारी पूजा होगी.
बसंत पंचमी पर भूलकर न करें ये गलतियां
1. बसंत पंचमी के दिन पीले रंग के कपड़े पहने जाते हैं क्योंकि ये रंग माता सरस्वती का पसंदीदा है, साथ ही बसंत ऋतु का भी यही रंग है. कहा जाता है कि पीले वस्त्र न पहनें तो कम से कम हाथ की कलाई पर पीला रुमाल जरूर बांध लें. अगर आप पीले वस्त्र नहीं पहन रहे हैं तो कम से कम काले रंग के वस्त्र बिल्कुल मत पहनिएगा. पीले रंग से कोई मिलता जुलता रंग पहन सकते हैं. लेकिन कलाई पर पीला रुमाल जरूर बांधें.
2. माता की पूजा के बाद दिन भर सात्विक भोजन करें. मांस, मदिरा और तामसिक भोजन न करें.
3. किसी से भी झगड़ा न करें. न ही किसी की बुराई या चुगली करें. शांति से मन में मां सरस्वती का ध्यान करें.
4. सुबह स्नान और पूजन से पहले कुछ न खाएं. पूजन तक व्रत रखें, उसके बाद प्रसाद खाकर व्रत खोल सकते हैं.
5. बसंत पंचमी के दिन पेड़ पौधों की कटाई वगैरह भी न करें. इससे पितृं को कष्ट पहुंचता है.