हिन्दू पंचांग के मुताबिक भाद्रपद मास के बाद आश्विन मास(Ashwin Maas) की शुरुआत होती हैं। इस महीने को देवता और पितृ दोनों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस महीने पितृ पक्ष की समाप्ति के साथ शारदीय नवरात्र की शुरुआत होती है। यानि आश्विन मास के कृष्णपक्ष से होने वाली शुरुआत में पितरों को समर्पित पितृपक्ष आता है तो वहीं शुक्लपक्ष में देवी दुर्गा की उपासना का महापर्व नवरात्र आता है। तो चलिए इस लेख के माध्यम से हम आपको आश्विन मास के बारे में कुछ खास जानकारी देते हैं:
- 2021 में आश्विन मास की प्रारंभ तिथि: 21 सितंबर, मंगलवार
- 2021 में आश्विन मास की समापन तिथि: 20 अक्टूबर, बुधवार
आश्विन मास इन चीजों का करें दान
- आश्विन मास के कृष्णपक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक चलने वाले पितृ पक्ष में अपने पितरों के निमित्त पिण्डदान करना चाहिए।
- आश्विन मास में पितृपक्ष के दौरान माता.पिता अथवा पूर्वजों की पुण्य तिथि पर किसी ब्राह्मण को स्नेह और आदर के साथ बुलाकर भोजन कराना चाहिए और उसे अपने सामथ्र्य के अनुसार दक्षिणा आदि देकर विदा करना चाहिए।
- आश्विन मास में प्रतिदिन अपनी क्षमता के अनुसार तिल और घी का दान करना चाहिए।
- आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक शारदीय नवरात्र में कुंवारी कन्याओं को धन, वस्त्र, भोजन, फल, मिष्ठान आदि का दान देने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- पितृपक्ष हो या फिन नवरात्र का समय ब्राह्मणों और कन्याओं को भोजन कराते समय अथवा दान सामग्री देते समय अभिमान न करें।
आश्विन मास में न करें ये काम
आश्विन मास में कोई भी मांगलिक कार्य जैसे गृहप्रवेश, विवाह संबंधी कार्य, किसी नये कार्य की शुरुआत आदि नहीं किया जाता है। आश्विन मास में दूध, करेला आदि का सावन नहीं करना चाहिए। इस पावन मास में मांस-मदिरा आदि सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए, बल्कि तमाम तरह की बुराईयों का त्याग करके मन और वाणी से पवित्र रहना चाहिए।