दुनिय में ऐसे कई देश हैं जिन पर आक्रमण करना या जिन्हें जीतना बेहद मुश्किल है। कुछ भौगोलिक दृष्टि से ऐसी जगह स्थित हैं जहां तक पहुंच पाना लोहे के चने चबाने से कम नहीं है तो कुछ देश अपने सैन्य बल की वजह से इतने शक्तिशाली बन चुके हैं कि कोई उन पर हमले की बात तो छोड़िए इस बारे में सोच तक नहीं सकता। आज हम आपको दुनिया के ऐसे 10 देशों के बारे में बता रहे हैं जो एक तरह से अभेद्य बन चुके हैः
हर जगह, हर परिस्थिति में लड़ सकती है अमेरिकी सेना
अमेरिका अपनी सेना पर हर वर्ष 596 बिलियन डॉलर खर्च करता है जो उसके बाद के सात देशों के कुल सैन्य खर्च से भी अधिक है। राष्ट्रपति ट्रम्प ने 54 बिलियन डॉलर के रक्षा व्यय का प्रस्ताव रखा है जो रूस के कुल बजट के 80 प्रतिशत के बराबर है। अमेरिका के पास इतने परमाणु बम हैं कि यह पूरी दुनिया को कई बार नष्ट कर सकता है। इसके पास ऐसी बहुपयोगी सेना है जो रेगिस्तान से लेकर, समुद्र तक एवं बर्फीले क्षेत्रों सभी जगह दुश्मनों को नाको चने चबाने को मजबूर कर सकता है।
जापान को जीतना आसान नही
जापान दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है और ऐसा देश है जिस पर पहले कभी भी आक्रमण नहीं किया गया है। यहां तक कि मंगोलिया, जो दूसरे देशों को जीतने के लिए कुख्यात रहा है, ने भी कभी जापान की तरफ देखने की जुर्रत नहीं की। अमेरिका ने भले ही दो परमाणु बम गिरा कर जापान के दो शहरों को ध्वस्त कर दिया लेकिन इस पर कभी भी आक्रमण नहीं किया जा सका। जापान के पास लगभग ढाई लाख सैनिक और 600 से अधिक टैंक है। जापान की वायुसेना दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी वायुसेना है और इसके पास तकनीकी रूप से अत्याधुनिक 1,590 वायुयान हैं।
हमेशा चौकन्नी रहती है स्विट्जरलैंड की सेना
बहुत से लोगों को यह विश्वास ही नहीं होगा कि स्विट्जरलैंड के पास कोई सेना भी है क्योंकि वह कभी भी खबरों में नहीं रही है। स्विट्जरलैंड 1815 से ही बिल्कुल तटस्थ रहा है। लेकिन अगर कोई हमला होता है तो 150,000 सैनिकों और 156 वायुयानों के साथ स्विट्जरलैंड किसी भी देश के साथ लोहा ले सकता है। हालांकि स्विट्जरलैंड फ्रांस, इटली, ऑस्ट्रिया जैसे अपने मित्र देशों से घिरा हुआ है लेकिन स्विट्जरलैंड की सेना हमेशा अपने घरों पर भी अपने हथियारों के साथ मुस्तैद और चौकन्नी बनी रहती है।
माइनस 50 डिग्री की ठंडः कनाडा से लड़ने की जुर्रत किसमें
जब युद्ध का मामला आता है तो कनाडावासियों को नेक और विनम्र नहीं कहा जा सकता। कनाडा के पास 95,000 सिपाहियों की एक बेहद पेशेवर और उच्च प्रशिक्षित सेना है। रूस की तरह ही कनाडा को भी अपनी सेना को तैयार करने की बहुत आवश्यकता नहीं पड़ती। उन्हें दुश्मनों को शिकस्त देने के लिए केवल बेहद ठंडे और कठोर मौसम का इंतजार करना पड़ता है। इसके अलावा, उसके बिल्कुल पड़ोस में उसका दोस्त और दुनिया की सबसे ताकतवर अमेरिकी सेना का वजूद है। माइनस 50 डिग्री की ठंड, छह मीटर की बर्फ और पड़ोसी अमेरिकी सेना के कारण कनाडा को आंखें दिखाने की जुर्रत नहीं कर सकता।
इजरायल का हर आदमी है सैन्य योद्धा
इजरायल को उसके पड़ोसी देश पसंद नहीं करते, इसलिए उसने अपने को सैन्य लिहाज से बेहद मजबूत बना लिया है। अपने वजूद के 69 वर्षों में उसने 8 लड़ाइयां लड़ी हैं और किसी में भी परास्त नहीं हुआ है। हालांकि उसके पास 1,76,000 टुकडि़यों की एक छोटी सेना है लेकिन वहां प्रत्येक नागरिक के लिए सैन्य कार्यों में प्रशिक्षित होना तथा काम करना अनिवार्य है जो पुरुषों के लिए 36 महीने तथा महिलाओं के लिए 24 महीने है। इसका अर्थ यह हुआ कि 15 लाख की उसकी आबादी भी युद्ध कला में प्रशिक्षित है जो जरुरत पड़ने पर देश के काम आ सकती है।
10 लाख सैनिक तो क्यों न इतराए उत्तर कोरिया
किम जोंग जिस एक बात की शेखी जरूर बघार सकते हैं और वह है उनकी जोरदार सेना। उत्तर कोरिया के पास 10 लाख से भी अधिक सैनिक हैं, 4,200 टैंक हैं, और 222 अटैक हेलिकॉप्टर हैं जो उसे अमेरिका को छोड़कर नाटो संगठन के किसी भी अन्य देश से अधिक शक्तिशाली बनाता है। ऐसा माना जाता है कि उसके पास परमाणु हथियार भी हैं जिसकी रेंज दक्षिण कोरिया, जापान और संभवतः अमेरिका के पश्चिमी तट तक है। उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच नाभिकीय परीक्षणों को लेकर हाल की तनातनी अगर लड़ाई में तबदील हो गई तो दक्षिण कोरिया, अमेरिका और जापान तीनों को मिल कर उत्तर कोरिया की मजबूत सेना से लोहा लेना होगा।
रूस की ताकत है दुर्गम इलाका और सेना
रूस दुनिया का सबसे बड़ा देश है और उसकी सुरक्षा उसकी भौगोलिक स्थिति और जलवायु में निहित है। रूस का अधिकतर हिस्सा पहाड़ों या मोटी बर्फ की चादर से घिरा रहता है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान रूस की सेना जानबूझकर पीछे हट गई थी जिससे जर्मनी की नाजी सेना फंस गई और ठंड से सिकुड़ कर मर गई। आज रूस के पास दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी सेना है जिसमें 845,000 सैनिक, 3500 सैन्य वायु यान तथा 350 जंगी पोतों का बेड़ा शामिल है, साथ ही, 7000 नाभिकीय मिसाइलें भी हैं।
ऑस्ट्रेलिया में घुस पाना लगभग नामुमकिन
ऑस्ट्रेलिया को विशाल महासागरीय क्षेत्र में तैरता हुआ मरुस्थल भी कहते हैं और किसी भी देश का निकटतम सैन्य ठिकाना यहां से 11,000 किमी. की दूरी पर जापान में है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान ने एक बार इस पर आक्रमण करने की योजना बनाई थी, लेकिन बाद में उसने यह योजना स्थगित कर दी क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में लगभग 70 प्रतिशत विशाल और दुर्गम अंतःप्रदेश है कि उसमें घुस पाना लगभग नामुमकिन है। इससे ऑस्ट्रेलियाई सेना को गुरिल्ला युद्ध करने का मौका भी मिल जाता है।
भौगोलिक बनावट के कारण भूटान को जीतना संभव नहीं
भूटान हिमालय की गोद में बसा एक एकांत पसंद देश है जिसके पास महज 6000 जवानों की एक सेना है जिसके पास न तो कोई तोपखाना है और न ही कोई वायु सेना। भूटान ने इस सूची में जगह इसलिए बनाई है क्योंकि इसका इतिहास यही रहा है कि आज तक इस पर कोई हमला नहीं हुआ है। हालांकि 18वीं सदी के वर्षों में इस पर ब्रिटेन ने हमला किया था लेकिन इसे कभी भी पूरी तरह जीता नहीं जा सका। इसके भू-प्रदेश की बनावट के कारण इसे जीतना अब और नामुमकिन हो गया है। समुद्र तल से 300 मीटर ऊपर होने के कारण यह ऊंचाई संबंधित बीमारियों को जन्म देता है और टैंक आदि के भी इतनी ऊंचाई पर चढ़ने की कोई संभावना नहीं बनती। इसके अतिरिक्त, भारत इसे सुरक्षा प्रदान करता है और हथियारों, सैन्य प्रशिक्षण तथा अन्य प्र्रकार की आपूर्ति और सहायता करता है।
किस में हिम्मत है ईरान के पहाड़ों को पार करने की
ईरान मुख्य रूप से पहाड़ों से घिरा हुआ है जिन्हें पार कर इस देश को जीतना बेहद मुश्किल है। ईरान के पास 5 लाख से अधिक सैनिक, 1,658 टैंक एवं 137 हवाई जहाज हैं। इसके अतिरिक्त, ईरान में भूमिगत मिसाइल केंद्रों का एक नेटवर्क है जिसके बारे में सरकार का दावा है कि यह प्रत्येक 500 मीटर पर, हर शहर और हर प्रांत में है। कई देशों को आशंका है कि ईरान ने अभी हाल में परमाणु हथियारों को ढोने वाले मिसाइलों का परीक्षण करना भी शुरु कर दिया है। अमेरिका, तुर्की और सऊदी अरब जैसे शक्तिशाली दुश्मनों को ध्यान में रखते हुए ईरान ने अपनी सेना और शक्ति बढ़ा ली है।