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इन शर्तों पर हुई है सीआरपीएफ कमांडो राकेश्वर सिंह की रिहाई, कुंजाम सुक्का पर हुआ सौदा

बीजापुर में सीआरपीएफ और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड के दौरान नक्सलियों ने सीआरपीएफ जवान को अगवा कर लिया था। सीआरपीएफ कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह की रिहाई के पीछे नक्सलियों ने सरकार के सामने एक शर्त रखी थी। इस शर्त का खुलासा नक्सलियों से रिहा होकर लौटे राकेश्वर सिंह के आने के बाद हुआ है। बीजापुर मुठभेड़ के दौरान सुरक्षा बलों ने कुंजाम सुक्का को अपने कब्जे में ले लिया था। कुंजाम सुक्का के बदले राकेश्वर सिंह की रिहाई हुई है। नक्सलियों ने जारी शर्त में कहा था कि पत्रकारों के माध्यम से कुंजाम सुक्का का वापस किया जाए।

कुंजाम सुक्का के आने के बाद ही राकेश्वर सिंह की रिहाई हो जाएगी। बीजापुर जिले के जोनागुड़ा गांव से 15 किलोमीटर दूर नक्सलियों ने राकेश्वर सिंह का रखा था। गुरूवार को तय मध्यस्थों के माध्यम से राकेश्वर सिंह को रिहा किया गया। पांच दिनों तक नक्सलियांे के कब्जे में रहने वाले कमांडो की मुस्कुराती तस्वीर साझा किया था। तस्वीर आने के बाद कमांडो की रिहाई का दबाव तेज हो गया था।

rekeshwer singh

20 गांवोें की पंचायत के समक्ष किया रिहा
नक्सलियों जब राकेश्वर सिंह को रिहा किया, उस दौरान 40 नक्सली मौके पर थे। नक्सलियों ने 20 गांव के लोगों की पंचायत बुलाकर सबके बीच कमांडो राकेश्वर सिंह को छोड़ा। कमांडो की रिहाई कराने गये बीजापुर और सुकमा के पत्रकार गणेश मिश्रा, राजन दास, मुकेश चंद्राकर, षंकर, चेतन ने महती भूमिका निभाई थी।

जल्द कैंप पहुंचना चाहते थे राकेश्वर
नक्सलियों से रिहा होने के बाद कमांडर राकेश्वर सिंह शीघ्र कैम्प पहंुचना चाहते थे। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि जल्दी चलों कैम्प पहुंच कर बात कर लेंगे। राकेश्वर सिंह ने पत्रकारों को बताया कि उन्हें दिन में 9 बजे रिहा करने वाले थे। गंभीर स्थिति को देखते हुए पत्रकारों की टीम राकेश्वर सिंह को तर्रेम थाना पहंुचाया।

महिला कर रही थी नक्सलियों को लीड
नक्सलियों ने ग्रामीणों की पंचायत के दौरान बताया कि जोनागुड़ा में मुठभेड़ के दौरान बेहोशी की हालत में मिले थे। उन्हें कुछ चोट आयी थी। राकेश्वर का इलाज गांव में ही किया गया। गांव की सभा के दौरान उन्हंे रिहा कर रहे हैं। नक्सलियों को लीड कर रही महिला ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हम राकेश्वर को पत्रकारों को सौंप रहे हैं। इन्हें पत्रकारों में सुरक्षित कैंप पहुंचाया जा रहा है। इन्हें रास्ते में कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा।

पर्दे के पीछे भी जारी थी कवायदें
कमांडो राकेश्वर की रिहाई के मामले लेकर आला अफसरों ने इसे गोपनीय बनाया हुआ था। पत्रकारों से भी जानकारी छिपाई जा रही थी। नक्सलियों के पास जाने से पहले मध्यस्थों को कुंजाम सुक्का को ग्रामीणों के बीच सौंपा गया। कुंजाम सुक्का को मुठभेड़ वाली जगह से सुरक्षा बलों ने पकड़ा था। नक्सलियों ने पत्रकारों से सबसे पहले पूछा वह ग्रामीण कहां है। कुंजाम सुक्का को सौंपने के बाद ही राकेश्वर सिंह की रिहाई हुई।