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आगरा से लापता बेटा पांच महीने बाद काशी के आश्रम में मिला, जुबां चुप थे और आंखों में थी आंसूओं की धार

कभी-कभी ऐसी अनहोनी हो जाती है जिसे स्वीकारना मुश्किल हो जाता है। जिन्दगी में ऐसे सच आते रहते हैं जो वर्षों से मायूसी को खुशी में बदल देते हैं। जी हां, आगरा और वाराणसी के बीच ऐसा ही हुआ है। ललितपुर के अशोक जैन का बेटा गौरव जैन पांच महीने पहले आगरा से अचानक गायब हो गया था। आंखों के सामने बेटे का लापता हो जाना हैरत भरा था। बेटे को खोजने के लिए पूरा परिवार दर-दर भटकता रहा। इस बीच गुरुवार को बेटे को वाराणसी के अपना घर आश्रम में सही सलामत देख परिवार की आंखें में खुंशियां लौट आयीं। अशोक जैन के अनुसार बेटे गौरव ने मुंबई से एमबीए करने के बाद खुद की कंपनी बनाई। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एप बनाया। इस दौरान पूरे भारत की यात्रा भी की और इन्वेंस्टमेंट कंसल्टेंट के तौर पर भी काम करते रहे। वह अच्छी जिन्दगी जी रहा था।

 

अचानक गौरव को कुछ ऐसी दिक्कतें होने लगी जिसके कारण परिवार परेशान रहने लगा। लोगों ने आगरा के मेंटल अस्पताल में दिखाने की सलाह दी। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ही बेटे को लेकर आगरा पहुंचे लेकिन कोरोना के कारण डाक्टरों ने देखने से इनकार कर दिया। ललितपुर लौटने की तैयारी करने लगे। इसी बीच गौरव लापता हो गया। काफी खोजबीन की, एफआईआर भी कराई लेकिन कुछ पता नहीं चला। जैसे-जैसे समय बीता परिवार ने दोबारा बेटे को देखने की आस छोड़ दी। परिवार इस दौरान बहुत लाचारी भरी जिन्दगी जीने को मजबूर हो गया।

पांच महीने बाद अपना घर आश्रम वाराणसी से आए एक फोन ने परिवार में खुशियां लौटा दीं। फोन पर बताया गया कि बेटा आश्रम में है। इसके बाद तत्काल गाड़ी की और रात भर में 700 किलोमीटर ड्राइव कर वाराणसी पहुंचे। बाढ़ में घिरे आश्रम में पहुंचने के लिए एक-एक पल का इंतजार लम्बा होता जा रहा था। घुटने भर पानी से होते हुए आश्रम आ गए। यहां गौरव को देख लिपटकर रो पड़े। यह ऐसा पल था कि सभी लोगों के आंखों में आंसू आ गये। आश्रम के डाक्टर निरंजन के अनुसार करीब ढाई महीने पहले सीआरपीएफ वालों ने गौरव को स्टेशन परिसर में लावारिस हालत में पड़ा देखा था।

बहुत ही दयनीय हालत में गौरव को आश्रम लाया गया। तब गौरव अपना नाम भी बताने की स्थिति में नहीं था। लगातार ढाई महीने तक सेवा और दवा के बाद उसने अपना नाम और शहर का नाम बताया। नाम और शहर के नाम मिलने के बाद पुलिस के लोग सक्रिय हो गये। इसके बाद ललितपुर जिले की पुलिस से आश्रम वालों ने संपर्क किया। उनके घर वालों का फोन नंबर मिलने पर उन्हें सूचना दी गई। सूचना मिलते ही अशोक अपनी पत्नी के साथ आश्रम पहुंच गए।