महाराष्ट्र की सियासत में एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के बीच चल रही असली और नकली शिवसेना की जंग पर आज दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान शिंदे गुट ने कोर्ट से मांग की है कि चुनाव आयोग की कार्यवाही पर लगी रोक हटाए जाने का आदेश जारी किया जाए, जबकि ठाकरे गुट इसका विरोध कर रहा है। फिलहाल आयोग को कार्यवाही नहीं करने का निर्देश जारी रहेगा, जो सीजेआई की बेंच ने जारी किया था।
सुप्रीम कोर्ट मामले की अगली सुनवाई 27 सितंबर को करेगा। तब तक चुनाव आयोग समेत सभी पक्षों को कोर्ट में ब्रीफ नोट दाखिल करना होगा। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएम नरसिम्हा की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही है।
एकनाथ शिंदे गुट की ओर से पेश वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि बीएमसी के चुनाव होने हैं और सिंबल का मसला चुनाव आयोग के सामने है। ऐसे में चुनाव आयोग की कार्यवाही पर लगी रोक हटाई जाए। यह बेंच इस संबंध में आदेश जारी करे।
कौल ने यह भी कहा कि कोर्ट कृपया चुनाव आयोग को सिंबल मामले पर कार्यवाही आगे बढ़ाने का निर्देश दे या पिछले आदेश को वापस ले। इस मामले में प्रतिपक्ष ने एक आवेदन दाखिल किया है। इस पर जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि हम 27 सितंबर को आवेदन को सूचीबद्ध करना चाहते हैं या आज हम आवेदन को संक्षेप में सुन सकते हैं और आपको इस पर 10 मिनट से अधिक समय नहीं लेना चाहिए और फिर हम तय कर सकते हैं कि क्या चुनाव आयोग को निर्देशित किया जा सकता है?
उद्धव ठाकरे गुट की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यह सवाल है कि जब पार्टी में बंटवारा होता है तो चुनाव आयोग की शक्ति क्या होती है?
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि सवाल यह है कि इस मामले में चुनाव आयोग का दायरा तय किया जाएगा, लेकिन एक सवाल है कि क्या चुनाव आयोग को आगे बढ़ना चाहिए या नहीं, तो ऐसे में हम आवेदन तय कर सकते हैं।
सिब्बल ने कहा कि 10वीं अनुसूची के मद्देनजर पार्टी में किसी गुट में फूट का फैसला चुनाव आयोग कैसे कर सकता है, यह एक सवाल है। वे आयोग के पास किस आधार पर गए हैं?