गृह मंत्री अमित शाह चुनावी राज्य असम में 25 फरवरी को नागांव जिले के बतद्रबा में कैंपेन करेंगे। यह जगह 15 वीं शताब्दी के वैष्णव संत श्रीमंत शंकरदेवा की जन्मस्थली है, जो कि फिलहाल बीजेपी के लिए ‘असमिया संस्कृति और पहचान के संरक्षण’ के लिए अपनी लड़ाई शुरू करने का सबसे बड़ा और पवित्र मंच बन गई है। 1468 में संत द्वारा बनाए गए बतद्रबा थान (पवित्र स्थान) पर आशीर्वाद मांगने के अलावा, इसके सौंदर्यीकरण के लिए 150 करोड़ रुपये की एक राज्य-वित्त पोषित परियोजना भी शुरू करेंगे।
स्वास्थ्य राज्य मंत्री पीयूष हजारिका ने कहा, “गृह मंत्री ने दिसंबर में गुवाहाटी से सांस्कृतिक परिसर की आधारशिला रखी थी, जो असम का सबसे पवित्र स्थान है। लेकिन वह यहां आशीर्वाद लेने के लिए व्यक्तिगत रूप से यहां आना चाहते थे और निर्माण कार्य स्वयं खुद शुरू करना चाहते थे। वह यहां एक रैली को भी संबोधित करेंगे।”
ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के प्रमुख मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने पिछले हफ्ते यहां पर एक रैली की थी। रैली में उनके समर्थकों ने वैष्णव संत को ‘साहब’ बताते हुए नारे लगाए थे, जिस पर काफी विवाद हुआ था। ऐसा माना जा रहा है कि इस घटना के बाद ही शाह की बतद्रबा रैली तय की गई है। अजमल ने इस पर माफी मांगते हुए कहा कि साहब शब्द जोड़ना पूरी तरह से अनजाने में हुआ और यह जीभ का फिसलना था।
दूसरी तरफ, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि राज्यों के विकास के लिए जापान का सहयोग अंतरराष्ट्रीय नीतियों का उदाहरण है और भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति को लागू करने में असम का महत्वपूर्ण स्थान है। ‘‘असम, भारत और एशिया का भविष्य’’ विषय पर अपने संबोधन में विदेश मंत्री ने कहा कि एक ठोस विदेश नीति किसी राष्ट्र, क्षेत्र और राज्य की प्रगति में सीधे योगदान दे सकती है, ऐसे में राष्ट्र के विकास और वृद्धि के लिए अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ का उपयोग करना महत्वपूर्ण है।