अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान की स्थिति दुनिया के सामने सिर्फ आतंकी जैसी ही है। तालिबान बार-बार कोशिश कर रहा है कि उसे मान्यता मिल जाये लेकिन अभी चीन, पाकिस्तान और रूस ने सिर्फ पहल ही की है। तालिबान ने अब सरकार बनाने की तैयारी तेज कर दी है। सत्ता सम्भालने वाले मंत्रियों के नाम फाइनल किए जा रहे हैं। तालिबानियों ने कुछ अंतरिम मंत्री भी नियुक्त कर दिये हैं। तालिबान ने दुनिया की सबसे खतरनाक जेल के कैदी और शांतिवार्ता के विरोधी रहे खूंखार आतंकी मुल्ला अब्दुल कय्यूम जाकिर को अफगानिस्तान का नया रक्षा मंत्री बनाया है।
मुल्ला अब्दुल कय्यूम जाकिर एक अनुभवी तालिबानी कमांडर बताया जा रहा है। तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का करीबी सहयोगी भी है।
अमेरिका में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में आतंकी हमले के बाद उसे 2001 में अमेरिकी नेतृत्व वाली सेनाओं ने पकड़ लिया था। उसे 2007 तक ग्वांतानामो बे की जेल में बंदी बनाकर रखा गया था। बाद में उसे रिहा कर दिया गया और अफगान सरकार को सौंप दिया गया। मुल्ला अब्दुल की गिनती तालिबान के खूंखार आतंकियों में होती है। ग्वांटानामो खाड़ी अमेरिकी सेना की एक हाई सिक्योरिटी जेल है, जो क्यूबा में स्थित है। सुरक्षा को देखते हुए इस जेल में खूंखार और हाई प्रोफाइल आतंकियों को रखा जाता है। तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद अभी तक अफगानिस्तान में एक औपचारिक सरकार का गठन नहीं किया है। देश को चलाने के लिए आतंकी समूह ने अपने कुछ नेताओं को प्रमुख पदों पर नियुक्त किया है।
ऐसा होगा मंत्रिमंडल
हाजी मोहम्मद इदरीस को देश के केंद्रीय बैंक दा अफगानिस्तान बैंक (डीएबी) का ‘कार्यवाहक प्रमुख’ नियुक्त किया गया है। तालिबान ने सखउल्लाह को कार्यवाहक शिक्षा प्रमुख, अब्दुल बाकी को उच्च शिक्षा का कार्यवाहक प्रमुख, सदर इब्राहिम को कार्यवाहक गृहमंत्री, गुल आगा को वित्तमंत्री, मुल्ला शिरीन को काबुल का गवर्नर, हमदुल्ला नोमानी को काबुल का मेयर और नजीबुल्लाह को खुफिया प्रमुख नियुक्त किया है। इससे पहले तालिबान ने अपने प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद को संस्कृति और सूचना मंत्री के तौर पर नियुक्त किया था।