काबुल के हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से अमेरिकी सेना का आखिरी विमान ने सोमवार देर रात को उड़ान भरी। इस उड़ान के साथ ही अफगानिस्तान में अमेरिका की 20 साल की मौजूदगी और मिशन का समापन हो गया। तालिबान ने जब अफगानिस्तान पर कब्जा किया और अफगान आर्मी को मात दी तो तालिबान के हाथ में कई बड़े हथियार लग गए थे। कई आधुनिक और अहम हथियार अमेरिकी सेना के कब्जे में ही थे। अब जब अमेरिकी सेना अफगानिस्तान छोड़ चुकी है तो अमेरिकी सेना के कब्जे के हथियार भी तालिबानी हो चुके हैं।
अब दुनिया के सामने सवाल उठ रहा है कि क्या उनपर तालिबान का कब्जा होगा। अमेरिकी रक्षा विभाग द्वारा इसका जवाब भी दिया है। यूएस सेंट्रल कमांड के कमांड जनरल किनिथ मैकेंजी ने कहा है कि अमेरिकी सेना को एयरपोर्ट पर कुछ हथियार छोड़कर आने पड़े हैं। इनमें काउंटर रॉकेट, आर्टिलरी, मोर्टार, मिसाइल डिफेंस सिस्टम आदि शामिल हैं। यह सभी सैन्य उपकरण एयरपोर्ट पर ही मौजूद थे। सोमवार को जब काबुल एयरपोर्ट पर रॉकेट से हमला हुआ, तब इसी डिफेंस सिस्टम की मदद से उसे नाकाम किया गया था। राॅकेट हमले को नाकाम नहीं किया गया होता तो भारी तबाही हो सकती थी। इन हथियारों के अलावा करीब 70 आम्र्ड व्हीकल भी काबुल एयरपोर्ट पर हैं, 72 एयरक्राफ्ट और 27 मल्टी परपज व्हीकल भी काबुल एयरपोर्ट पर अमेरिका छोड़कर आया है।
अमेरिकी सेना ने कहा है कि सेना ने जो भी हथियार काबुल एयरपोर्ट पर छोड़कर आए हैं। उन्हें कोई इस्तेमाल नहीं कर सकता है। हम उन्हें ऐसा करके आए हैं कि वह एक लंबी प्रक्रिया, लंबे समय की मेहनत के बाद ही दोबारा काम कर सकेंगे। एक तरह से अब उन्हें कभी इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। सैन्य अधिकारी ने बताया कि जिन वाहनों को अमेरिका छोड़कर आया है, उनका इस्तेमाल करना भी मुश्किल होगा। अमेरिका द्वारा उन 73 एयरक्राफ्ट की जानकारी नहीं दी गई है जो वह काबुल एयरपोर्ट पर छोड़कर आया है। अमेरिकी सेना ने सिर्फ इतना ही कहा है कि जो एयरक्राफ्ट हम छोड़कर आए हैं, वह अब इस्तेमाल नहीं किए जा सकेंगे।
ज्ञात हो कि 30 अगस्त को अमेरिकी सेना का आखिरी विमान काबुल एयरपोर्ट से उड़ा। मेजर जनरल क्रिस डोनाहुए वो आखिरी अमेरिकी जवान थे, जिन्होंने अफगानिस्तान की धरती छोड़ी। अमेरिका ने अपनी तय तारीख से 24 घंटे पहले ही अफगानिस्तान को अलविदा कर दिया। इब अफगानिस्तान तालिबान के हवाले है।