अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि चीन ने कोरोना वायरस को लेकर जानकारी छुपाई। खुफिया दस्तावेजों से पता चलता है कि चीन ने यह बात छुपाई कि कोविड-19 कितना संक्रामक है ताकि वह इसके लिए मेडिकल सप्लाई की आपूर्ति को बढ़ा सके। होमलैंड खुफिया सुरक्षा विभाग (डीएचएस) की एक मई की रिपोर्ट के अनुसार चीनी नेताओं ने जनवरी की शुरुआत में जानबूझकर दुनिया से महामारी की गंभीरता को छुपाया।
यह खुलासा ऐसे समय पर हुआ है जब ट्रंप प्रशासन ने चीन की आलोचना करना तेज कर दिया है। विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने रविवार को कहा कि चीन को वायरस के प्रसार के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए और उसकी जबावदेही तय करनी fiचाहिए। यह बयानबाजी प्रशासन के आलोचकों के साथ मेल खाती है, जिसमें कहा गया है कि वायरस के प्रति सरकार की प्रतिक्रिया धीमी और अपर्याप्त थी।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के राजनीतिक विरोधियों ने चीन पर निशाना साधने को लेकर उनकी आलोचना की है। उनका कहना है कि चीन अमेरिका का महत्वपूर्ण साझेदार है। डीएचएस के विश्लेषण में कहा गया है कि कोरोना वायरस की गंभीरता को छुपाते हुए, चीन ने आयात बढ़ाया और चिकित्सा आपूर्ति के निर्यात में कमी की। मामले को कवर करते हुए उसने निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने जनवरी तक विश्व स्वास्थ्य संगठन को नहीं बताया कि कोरोना वायरस संक्रामक है ताकि वह विदेश से मेडिकल सप्लाई का ऑर्डर दे सके और उसने फेस मास्क और सर्जिकल गाउन और ग्लव्स (दस्ताने) का आयात तेजी से बढ़ा दिया। ये निष्कर्ष 95 प्रतिशत संभावना पर आधारित हैं कि आयात और निर्यात व्यवहार में चीन के परिवर्तन सामान्य सीमा के भीतर नहीं थे।
रविवार को किए ट्वीट में राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिकी खुफिया अधिकारियों पर आरोप लगाया कि वे इस बात को स्पष्ट क्यों नहीं कर रहे हैं कि कोरोना वायरस का प्रकोप कितना खतरनाक हो सकता है। वहीं ट्रंप इस बात को लेकर अपना बचाव करते रहते हैं कि कोविड-19 और इसके संभावित प्रभाव के बारे में खुफिया अधिकारियों और अन्य लोगों से प्रारंभिक चेतावनी मिलने के बाद वे आवश्यक कदम उठाने में असफल रहे।