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अफगानिस्तान को पूरी तरह से कब्जाने में जुटा तालिबान, ईरानी सीमा से सटे इलाके पर जमाया कब्जा

अमेरिकी सैनिकों (US Troops) के अफगानिस्तान (Afghanistan) छोड़ने के ऐलान होने के बाद से तालिबान (Taliban) तेजी से देश के कई इलाकों पर अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटा हुआ है. एक अफगान अधिकारी (Afghan official) और ईरानी मीडिया (Iranian media) के मुताबिक, तालिबान ने गुरुवार को ईरान (Iran) के साथ लगने वाली एक और महत्वपूर्ण अफगान सीमा (Afghan border) पार कर ली. अमेरिकी सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी के बाद ये कब्जा तालिबान के तेजी से पांव पसारने का एक हिस्सा है.

ताजिकिस्तान (Tajikistan) और उज्बेकिस्तान (Uzbekistan) के साथ लगने वाली सीमा पर कब्जा करने के बाद, यह पिछले एक हफ्ते में तालिबान द्वारा कब्जा की गई तीसरी सीमा है. तालिबान द्वारा ये कार्रवाई ऐसे समय पर की गई है, जब राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने कहा है कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य मिशन 31 अगस्त को समाप्त हो जाएगा. तालिबान की जीत ने कुछ देशों को अफगानिस्तान में अपने वाणिज्य दूतावासों को बंद करने पर मजबूर कर दिया है. वहीं, ताजिकिस्तान ने अफगानिस्तान से लगने वाली सीमा पर निगरानी बढ़ाने का आदेश दिया है.

अपनी पॉजिशन छोड़कर ईरान भागे अफगानी सैनिक

एक अफगान अधिकारी ने कहा कि तालिबान ने गुरुवार को पश्चिमी हेरात प्रांत (Herat province) में इस्लाम कला क्रॉसिंग प्वाइंट पर कब्जा कर लिया. हेरात में मौजूद एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर इसकी जानकारी दी. ईरानी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस्लाम कला के सीमावर्ती क्षेत्र में अफगान सैनिक अपने पॉजिशन छोड़कर भाग गए और ईरान में शरण लेने के लिए चले गए. इस्लाम कला अफगानिस्तान और ईरान एक प्रमुख पारगमन मार्ग है. ये क्रॉसिंग प्रांतीय राजधानी हेरात शहर के पश्चिम में लगभग 120 किलोमीटर (75 मील) की दूरी पर है.

तालिबान ने इस्लाम कला पर कब्जा करने की पुष्टि की

तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद (Zabihullah Mujahid) ने इस्लाम कला को कब्जे में लेने की पुष्टि की और ट्वीट कर कहा कि तालिबान लड़ाके इस्लाम कला शहर में प्रवेश कर चुके हैं. स्थानीय निवासियों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया है. मुजाहिद ने एक वीडियो भी पोस्ट किया जिसमें तालिबान के लड़ाकों को इस्लाम कला में ट्रकों के पीछे सवार होकर और जश्न में हवा में गोली चलाते हुए देखा गया. अमेरिका और NATO सैनिकों की वापसी के बाद से ही अफगानिस्तान में तालिबान का आतंक बढ़ गया है. अभी तक 90 फीसदी अमेरिकी सैनिकों की वापसी हो चुकी है.