भारतीय सेना (Indian Army) एक तरफ अपने जवानों को अत्याधुनिक हथियारों (cutting edge weapons) से लैस कर रही है, वहीं दूसरी तरफ अपने सभी 10 लाख सैनिकों (1 million soldiers) को बिना हथियार के युद्ध लड़ने (art of fighting without weapons) की कला में भी दक्ष करेगी। इसके लिए सेना ने मार्शल आर्ट्स को मिलाकर एक नया प्रशिक्षण कोर्स तैयार (New training course ready) किया है, जिसे तत्काल प्रभाव से इसे लागू कर दिया है।
इस नए प्रशिक्षण कोर्स का नाम आर्मी मार्शल आर्ट्स रुटीन (अमर) रखा गया है। इसमें दिए जाने वाले प्रशिक्षण में जवानों को बिना हथियारों के लड़ना सिखाया जाएगा। सेना का मानना है कि कई बार ऐसी स्थितियां होती हैं, जब जवानों को बिना हथियारों के भी दुश्मन से लड़ना पड़ सकता है। दरअसल, पूर्वी लद्दाख क्षेत्र की गलवान घाटी में 2020 में भारत चीन के सैनिकों में हथियारों के बगैर संघर्ष हुआ था। इसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे।
विभिन्न समझौतों के तहत आमतौर पर सीमा क्षेत्र में गश्त करने वाले दलों को हथियार रखने की मनाही होती है। इसके बावजूद कई ऐसे मौके आए हैं, जब सैनिकों के बीच बिना हथियारों के संघर्ष होता है। ऐसा ही हाल में अरुणाचल प्रदेश में भी भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुआ। था। ऐसे में बिना हथियार के युद्ध लड़ने में दक्षता विशेष मौकों पर महत्वपूर्ण हो सकती है। ऐसा माना जा रहा है कि गलवान घाटी में हुए संघर्ष से ही सबक लेते हुए सेना ने यह कदम उठाया है।
सेना के सूत्रों ने कहा कि इसमें जवानों को दो चरणों में प्रशिक्षण दिया जाएगा। एक बेसिक अमर कोर्स और दूसरा एडवांस अमर कोर्स। बेसिक कोर्स पूरा करने के बाद उन्हें एडवांस कोर्स करना होगा। सेना के सूत्रों ने कहा कि कोर्स के प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार किए गए हैं। इसमें मार्शल आर्ट्स और कुछ अन्य भारतीय युद्ध कलाओं को भी शामिल किया गया है। सेना ने कहा कि प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण का कार्य शुरू हो गया है, इसके बाद वे आगे यूनिट में जाकर सभी जवानों को प्रशिक्षण प्रदान करेंगे। सभी जवानों के लिए बिना हथियारों की इस युद्ध कला में दक्ष होना अनिवार्य होगा।
सेना के अनुसार इससे जहां भारतीय सैनिकों की आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी होगी। उनकी कुल युद्धक क्षमता में इजाफा होगा। साथ ही वे शारीरिक एवं मानसिक रूप से भी स्वस्थ रह सकेंगे।