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अपने वफादार ‘मित्र’ पाकिस्तान को अब बूंद-बूंद के लिए तरसाएगा चीन

दक्षिण एशिया में अपना प्रभुत्व जमाने के लिए चीन कुछ भी करने को तैयार रहता है। इसके लिए वो अपने पड़ोसी पाकिस्तान और भारत जैसे देशों से पानी तक चुराने पर काम करता है। जिनमें सिंधु और ब्रम्हपुत्र का जल शामिल है। वो अपनी अनेक योजनाओं में इस पानी का प्रयोग कर रहा है। भारत तो चीन द्वारा पानी को राजनीतिक हथियार बनाने वाले मुद्दे पर उसे कूटनीतिक पटखनी देने की योजना बना सकता है, लेकिन पाकिस्तान के पास न इतना साहस है न शक्ति कि वो चीन को जवाब दे सके, इसलिए वो बेचारा धीरे-धीरे बिन पानी मौत की तैयारियां कर रहा है।

दरअसल, एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन अपने शिनजियांग इलाके को कैलिफोर्निया की तर्ज पर ले जाने की एक योजना बना रहा है, जिससे आर्थिक गतिविधियों का विस्तार किया जा सके। चीन विकास के आड़े आने वाले अपने ही लोगों के मूल अधिकारों का हनन कर रहा है। इस कदम से जहां चीन में आर्थिक विकास होगा तो वहीं इस क्षेत्र में रहने वाले गरीबों के मूल अधिकारों को चोट भी लगेगी, क्योंकि इस परियोजना से प्रांत के आस-पास बाढ़ की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। नदियों के बहावों को रोक कर चीन ने साबित किया है कि वह आर्थिक हितों को साधने के लिए कुछ भी करने को तैयार है।

इस परियोजना को लेकर डा. बुर्जेंन वाघमार ने बताया, ‘इस हालिया परियोजना के तहत दक्षिणी तिब्बत के यारलांग त्सागपो से 1000 किलोमीटर की सुरंग खोदी जाएगी जिसके जरिए एशिया के वाटर टावर से पिघलने वाला जल तिब्बत से होते हुए Taklamakan के मरूस्थल वाले दक्षिणष-पश्चिमी शिनजियांग तक जाएगा।’ उन्होंने बताया कि ठंडे बस्ते में जा चुकी इस परियोजना को चीन फिर से लाने की योजना बना रहा है जिसका एक ट्रायल युन्नान शहर में किया जा रहा है। इंजीनियरिंग और तकनीकी के अलग-अलग माध्यमों से सुरंग खोदने का काम किया जा रहा है जिसे फिर शिनजियांग पर आजमाया जाएगा। गौरतलब है कि एक ऐसा ही मॉडल सिंधु नदी पर दोहराया जा रहा है।

 

भारत चीन की इन करामातों से लड़ने में सक्षम है और कूटनीतिक स्तर पर चीन को जवाब भी दे सकता है। जबकि पाकिस्तान की हालत इतनी पतली है कि उसकी इतनी हिम्मत नहीं है कि वो ज्यादा कुछ बोल सके। वो तो अपना विरोध भी दर्ज नहीं कर पाता है। चीन से वफादारी के बावजूद पाकिस्तान को हर बार नुकसान ही मिलता है । ऐसे में जिस सिंधु नदी का पानी कम्युनिस्ट पार्टी मोड़ने की प्लानिंग कर रही है वो पाकिस्तान के कब्जे वाले पंजाब का है, जिससे पाकिस्तान में ही पानी की कमी हो सकती है।

सिंधु नदी को मोड़ने के साथ ही चीन दक्षिण पश्चिमी खंड को जोड़ने की योजना बना रहा है। जिसमें पश्चिमी तिब्बत के इलाके का सिंधु नदी का पानी शामिल होगा। पाकिस्तान के इलाके के सिंधु नदी का पानी मोड़कर चीन पाकिस्तान को सूखा रहने पर मज़बूर कर देगा‌। चीन अपने आर्थिक विकास के लिए कुछ भी कर सकता है और वो किसी को भी परेशान करने से परहेज नहीं करता है। अगर ऐसा कहा जाए तो शायद गलत नहीं होगा कि वो दिन भी आएगा जब चीन पाकिस्तान पर ही अपना अधिकार जमा लेगा। सिंधु नदी का मुड़ाव चीन की तरफ होने से पाकिस्तान की मुसीबतों में इजाफा होगा‌। अपंग पड़ी अर्थव्यवस्था को भी इससे झटका ही नहीं लगेगा बल्कि उसके सिकुड़ने की संभावनाएं दोगुनी हो जाएंगी।

 

यहीं नहीं पहले से ही अनेकों आर्थिक प्रतिबंधों का सामना कर रहे पाकिस्तान के लिए ये एक ऐसा झटका होगा जो उसे उबरने ही नहीं देगा। चीन के खिलाफ बोलना तो पाकिस्तान के लिए मुश्किल है इसलिए सैन्य कार्रवाई तो दूर की कौड़ी ही होगी। जबकि चीन के लिए ये कोई नई बात नहीं है। मेकांग नदी का पानी चीन पहले ही बेतरतीब तरीके से सुखा रहा है। उसके ऊपर 11 से अधिक बांध हैं जो 47 बिलियन क्यूसेक से ज्यादा पानी के संरक्षण की क्षमता रखते हैं। यही नहीं चीन थाइलैंड, कंबोडिया, और वियतनाम जैसे देशों में मेकांग नदी का पानी नियंत्रित कर रहा है जिससे ज्यादा से ज्यादा प्रवाह पर लगाम लगाई जा सके।