उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के हाथरस जिले में पिछले महीने एक 19 साल की लड़की के साथ गैंगरेप (Hathras Gangrape) कर अधमरा कर दिया गया था, जिसके बाद 29 सितंबर को उसकी दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई। उसकी मौत के बाद ये खबर पूरे देश में आग की तरह फैल गई और राजनीति शुरू हो गई। आनन फानन में मृतक लड़की का आधी रात को ही अंतिम संस्कार कर दिया गया। पीड़ित परिवार वालों ने आरोप लगाया था कि बिना परमीशन के ही पुलिस अधिकारियों ने अंतिम संस्कार किया, जबकि पुलिस ने इस बात से साफ इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने परिवार वालों से इस बारे में पूछा था।
पीड़िता को जल्दबाजी में आग के हवाले करने पर यूपी सरकार (UP Goverment) कटघरे में खड़ी हो गई थी। इस मामले को लेकर खूब बवाल मचा। इसके लिए एसआइटी का गठन किया गया। यहां तक कि कोर्ट में यूपी सरकार की तरफ दलील भी दी गई कि जल्दबाजी में पीड़िता का अंतिम संस्कार इसलिए किया गया क्योंकि हाथरस में जातिवाद के नाम पर दंगा भड़काने की साजिश की जा रही थी। अब इस मामले में एक और बड़ा खुलासा हुआ है। कहा जा रहा है कि हाथरस में दंगा भड़काने के लिए देश के बाहर से साजिश की जा रही थी।
हाथरस मामले में जांच एंजेंसियों ने खुलासा किया है कि उत्तर प्रदेश और मोदी सरकार का नाम खराब करने की रणनीति बाहरी दुश्मन देश बना रहे थे, ताकि देश में दंगा भड़के। भारतीय राजनेताओं के खिलाफ पाकिस्तान और मिडिल ईस्ट के देशों से कई भड़काऊ ट्वीट्स पर किए गए। रिपोर्ट के मुताबिक, इस्लामिक देशों के ट्विटर अकाउंट्स के जरिए झूठ फैलाया जा रहा था। इसके लिए पेड अभियान (Paid Campaign) भी चलाया गया था। जब इस बात की जानकारी जांच एजेंसियों को चली और गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया तो ट्विटर से उन सभी मैसेज को हटा दिया गया।