महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के बाद अब शिवसेना पर दावेदारी को लेकर जोर-आजमाइश हो रही है। उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे, दोनों के ही अपने-अपने दावे हैं। दोनों खेमे की लड़ाई पर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई हो रही है। शिंदे गुट के विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर उद्धव गुट की ओर से दायर सभी याचिकाओं पर आज भी सुनवाई होगी। शिवसेना बनाम शिवसेना विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इस मामले में सभी याचिकाकर्ताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई तारीख के मुताबिक, आज सुनवाई होने की संभावना है। आज की सुनवाई में इस बात पर फैसला आने की उम्मीद है कि क्या विधायक की अयोग्यता का मामला निर्णय के लिए विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा जाएगा या मामले की सुनवाई तीन सदस्यीय या संविधान पीठ करेगी। केंद्रीय चुनाव आयोग ने पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री शिंदे को इस मुद्दे पर सबूत पेश करने के लिए आठ अगस्त तक का समय दिया है कि असली शिवसेना कौन है। इसलिए आयोग के समक्ष कार्यवाही पर रोक लगाने की शिवसेना की मांग पर अदालत अंतरिम आदेश पारित कर सकती है। इस बीच कोर्ट ने 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में कुछ अहम मुद्दे उठाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “यह मामला बेहद संवेदनशील है, अनुच्छेद 32 के तहत दोनों समूहों को पहले उच्च न्यायालय जाना चाहिए था। इस मामले की सुनवाई संवैधानिक पीठ के समक्ष होनी चाहिए।”
उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि सुनवाई 1 अगस्त को होगी। लेकिन, अब यह सुनवाई 3 अगस्त को होगी।
क्या है पूरा मामला?
एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के 39 विधायकों के समर्थन के साथ विद्रोह का विगुल फूंका। पहले सूरत फिर गुवाहाटी उनका ठिकाना बना। उस वक्त शिवसेना की ओर से शिंदे समूह के 16 विधायकों को नोटिस जारी किया गया था। इस नोटिस के खिलाफ शिंदे समूह ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। वहीं, उद्धव गुट की मांग है कि शिवसेना से अलग हुए शिंदे समूह को संविधान की दसवीं अनुसूची के प्रावधानों के अनुसार किसी अन्य पार्टी में शामिल नहीं होने के लिए अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए और उनके समर्थन से सत्ता में आई सरकार को असंवैधानिक घोषित किया जाना चाहिए। शिवसेना ने इस बड़ी मांग समेत कई बातों को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है। शिंदे समूह ने अयोग्यता के नोटिस और समूह के नेता के रूप में अजय चौधरी की नियुक्ति को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की है।