अब बस इंतजार उस लम्हे का है, जब देश के 17 सियासी दल एक साथ एकजुट होकर पड़ोसी मुल्क चीन की नापाक करतूतों का माकूल जवाब देने के लिए मोर्चा खेलने का ऐलान करेंगे। सरहद की हिफ़ाज़त में मुस्दैती से तैनात हमारे 20 जवानों की शहादत के चलते पूरा देश आक्रोशित है। भारत के सख्त रूख के बाद अब चीन वार्ता की पैरोकारी कर रहा है। मगर भारत के हालिया रूख को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अब उसका इरादा बदलने वाला नहीं है। फिलहाल इसकी असल तस्वीर तो शाम पांच बजे बैठक खत्म होने के बाद ही साफ होगी।
मगर इससे पहले एक बड़ी खबर सामने आई है कि सर्वदलीय बैठक में शिरकत करने जा रहे शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे सरकार से चीनी निवेश पर राष्ट्रीय नीति बनाने की मांग कर सकते हैं। यहां गौर करने वाली बात यह है कि उनका यह बयान ऐसे समय में आया है, जब संपूर्ण देश मे लगातार लोग सड़कों पर उतरकर चीनी वस्तुओं के बहिष्कार की मांग कर रहे हैं। इस दरम्यिान उद्धव ने केंद्र सरकार से मांग की है कि केंद्र सरकार चीनी कंपनियों के लिए भारत में निवेश के दौरान कुछ नियम कायदे कानून बनाए, जिसका अनुपालन किसी भी चीनी कंपनी के लिए अनिवार्य होना चाहिए।
मालूम हो कि भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर भारतीय रेलवे ने चीनी कंपनी का एक कांट्रेक्ट रद्द कर दिया था। करीब चाल पहले एक चीनी कंपनी एक सिग्नल सिस्टिम बनाने का ठेका दिया गया था। लेकिन कंपनी के धीमी गति के काम को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है। इसके इतर संचार कंपनियों को भी साफ कर दिया गया है कि वे संचार उपकरणों केे लिए चीनी कंपनियों पर अपनी निर्भरता को कम करे।