रसोई गैस सिलेंडर की सब्सिडी (LPG cylinder Subsidy) को लेकर एक बड़ी खबर आ रही है। सरकार के एक इंटरनल मूल्यांकन (Internal Assessment) में इशारा मिल रहा है कि एलपीजी सिलेंडर के लिए ग्राहकों को प्रति सिलेंडर 1,000 रुपये का पेमेंट करना पड़ सकता है। मगर अभी इस पर सरकार का क्या सोच रही है यह स्पष्ट नहीं है।
एक खबर के अनुसार, सरकार ने सब्सिडी के मुद्दे पर कई बार बातचीत की है मगर अभी तक कोई स्कीम नहीं बनाई गई है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, एलपीजी सिलेंडर (LPG cylinder) को लेकर सरकार दो फैसले ले सकती है। पहला कि सरकार बिना सब्सिडी के सिलेंडर सप्लाई करना शुरू कर देगी। दूसरा कुछ चुने हुए उपभोक्ताओं को भी सब्सिडी का फायदा दिया जाए।
क्या है सब्सिडी की स्थिति?
साल 2020 में जब कोरोनो महामारी के कारण दुनियाभर में लाॅकडाउन लगाया गया था उस वक्त कच्चे तेल के दाम काफी गिर गए थे। इससे भारत सरकार को एलपीजी सब्सिडी (LPG Subsidy) के मोर्चे पर काफी सहायता मिली क्योंकि दाम काफी कम थे। जिससे सब्सिडी को लेकर बदलाव की जरूरत नहीं थी। मई 2020 से, कई क्षेत्रों में एलपीजी सब्सिडी बंद हो गई है, जो दूर-दराज के और एलपीजी प्लाटं से दूर हैं।
ये है सरकार की योजना?
सरकार सब्सिडी को लेकर विचार कर सकती है, मगर यह साफ़ है कि 10 लाख रुपये इनकम के रूल को लागू रखा जाएगा और उज्ज्वला योजना (Ujjwala Scheme) के लाभार्थियों को सब्सिडी का फायदा मिलेगा। आपको बता दें कि बाकी लोगों के लिए सब्सिडी समाप्त हो सकती है। बता दें कि यह स्कीम 2016 में पीएम मोदी द्वारा गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों को एलपीजी कनेक्शन (LPG connection) प्रदान करने के लिए शुरू की गई थी। भारत में करीब 29 करोड़ से ज्यादा के पास एलपीजी कनेक्शन हैं, इसमें उज्जवला स्कीम के तहत लगभग 8.8 एलपीजी कनेक्शन हैं। FY22 में, सरकार स्कीम के तहत एक और एक करोड़ कनेक्शन जोड़ने के बारे में सोच रही है।
सब्सिडी पर कितना खर्च?
वित्तीय वर्ष 2021 के दौरान 3,559 रुपये सरकार का खर्च सब्सिडी पर रहा। इससे पहले वित्तीय वर्ष 2020 में यह खर्च 24,468 करोड़ रुपये का था। असल में, ये डीबीटी योजना के तहत है जिसकी शुरुआत जनवरी 2015 में की गई थी जिसके तहत ग्राहकों को गैर सब्सिडी एलपीजी सिलेंडर का पूरा भुगतान करना होता है। वहीं, सरकार की ओर से सब्सिडी का पैसा ग्राहक के बैंक खाते में वापस आ जाता है। चूंकि यह रिफंड डायरेक्ट होता है, इसलिए योजना का नाम DBTL रखा गया है।