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राज्य स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित सर्वभाषा कवि सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने किया प्रतिभाग

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कविता को आत्मा की अभिव्यक्ति तथा दिल से निकली आवाज बताते हुए कहा कि जिसका दिल साफ होगा मन में दया होगी, पीड़ा होगी, वही कविता लिख सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य स्थापना के बाद पहली बार भाषा विभाग द्वारा सर्वभाषा कवि सम्मेलन का आयोजन सराहनीय पहल है। मुख्यमंत्री ने कवि सम्मेलन में पधारे कवियों को सम्मानित करते हुए कहा कि कवियों के बारे में कहावत है कि जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि। यही नहीं साहित्य, संगीत एवं कला से विहीन व्यक्ति को पशु के समान माना गया है। हमारे कवि समाज के पथ प्रदर्शक होते हैं। मुख्यमंत्री ने राज्य आन्दोलनकारियों को नमन करते हुए सभी को राज्य स्थापना की भी बधाई दी। उन्होंने कहा कि विविधता में एकता हमारी पहचान है।


मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को सायं आईआरडीटी सभागार में राज्य स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर भाषा विभाग द्वारा आयोजित सर्वभाषा कवि सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि पिछले 22 सालों में उत्तराखण्ड विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ा है। राज्य के विकास के लिये तैयार रोड मैप पर कार्य किया जा रहा है। रोजगार और आर्थिकी को बढ़ावा देने के लिये पर्यटन कृषि बागवानी के क्षेत्र में योजनायें बनायी गयी है। 6 हजार एकड में लेण्ड बैंक बनाया गया है ताकि अधिक से अधिक निवेशक राज्य में उद्योगों की स्थापना के प्रति आकर्षित हों। स्वयं सहायता समूहों की आर्थिकी को भी मजबूती देने के प्रयास किये जा रहे हैं। लखपति दीदी योजना में 2025 तक 1.25 लाख मातृशक्ति बहनों को लखपति बनाने की योजना बनायी गयी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने माणा में केदारनाथ व हेमकुण्ड साहिब रोपवे के आदि योजनाओं के शिलान्यास के अवसर पर सभी लोगों से अपनी यात्रा व्यय का 5 प्रतिशत धनराशि वहां के स्थानीय उत्पादों के क्रय पर व्यय करने की बात कही। इससे स्थानीय उत्पादों के उत्पादन एवं विपणन को बढ़ावा मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में पधारे कवियों से भी अपेक्षा की कि वे अपनी अभिव्यक्ति की ताकत के बल पर इस अभियान को आगे बढ़ाने में सहयोगी बनें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का उत्तराखण्ड के प्रति विशेष लगाव है तथा उन्होंने उत्तराखण्ड को स्वर्ग की संज्ञा दी है। प्रधानमंत्री की अपेक्षाओं के अनुरूप 2025 तक उत्तराखण्ड देश के श्रेष्ठ राज्यों में अपनी पहचान बनाये इसके लिये हम सबको मिलजुल कर प्रयास करने होंगे। राज्य के विकास की हम सबकी यह सामूहिक यात्रा है।

इस अवसर पर भाषा मंत्री श्री सुबोध उनियाल ने कहा कि हमारा प्रदेश बहुभाषी, बहुधर्मी एवं बहु संस्कृतियों वाला प्रदेश है। राज्य की भाषा एवं संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये भाषा विभाग द्वारा पहली बार यह पहल की है। इस आयोजन को भविष्य में और अधिक प्रभावी बनाये जाने की भी उन्होंने बात कही। उन्होंने मंचाशीन कवियों का आह्वान किया कि वे राज्य के प्रतिभावान युवा रचनाकारों को बेहतर प्लेटफार्म प्रदान करने में मददगार बनें ताकि उनकी भी पहचान देश व दुनिया में हो सके।

इस अवसर पर जिन कवियों ने अपनी कविताओं की प्रस्तुति दी उनमें श्री बुद्धिनाथ मिश्र, श्री अतुल शर्मा, श्री अफजल मगलोरी, श्री अम्बर खरबन्दा श्री प्रेम साहिल, श्रीमती नीता कुकरेती, श्रीमती बीना बेंजवाल, श्रीमती श्रुति वत्स, श्रीमती बसन्ती मठपाल, श्री गिरीश सुन्दरियाल, श्री दिनेश सुन्दरियाल प्रमुख रहे। निदेशक भाषा संस्थान श्रीमती स्वाति भदोरिया ने आभार व्यक्त किया।