उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की दूसरी बार सत्ता संभालने के बाद शुक्रवार को अयोध्या पहुंचे मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी (Adityanath Yogi) ने मठ-मंदिरों और धर्मशालाओं (Monasteries and Dharamsalas) को लेकर बड़ा फैसला (big decision) किया। अयोध्या मंडल की समीक्षा करते हुए सीएम योगी (CM Yogi) ने अफसरों से साफ तौर पर कहा कि मंदिरों, धार्मिक स्थलों और धर्मशालाओं से कमर्शियल (commercial tax) के स्थान पर चैरिटेबल के रूप में टैक्स लिया जाए।
दरअसल, अयोध्या जनपद बनने के पहले फैजाबाद नगर पालिका और अयोध्या नगर पालिका सुविधाओं और टैक्स का संचालन करती थीं. फैजाबाद का नाम अयोध्या जनपद होने के बाद अयोध्या नगर निगम की भी घोषणा हुई और नगर निगम बनने के साथ ही टैक्स के रेट में बड़ी बढ़ोतरी हुई।
आलम यह था कि सैकड़ों में आने वाला टैक्स हजारों में, और हजारों में आने वाला टैक्स लाखों में पहुंच गया, जिसके दायरे में अयोध्या के मठ मंदिर भी आ गए. लिहाजा साधु संत योगी सरकार के पहले कार्यकाल से ही मठ मंदिरों को कमर्शियल टैक्स से राहत देनी की मांग कर रहे थे. अब दूसरे कार्यकाल में योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में मठ मंदिरों और धर्मशालाओं के लिए कमर्शियल टैक्स के स्थान पर चैरिटेबल के रूप में टैक्स लेने के आदेश दिए तो अयोध्या के साधु संतों में खुशी की लहर दौड़ गई।
यह खुशी अयोध्या में ही नहीं बल्कि पूरे यूपी के अलग-अलग स्थानों तक फैलने वाली है, क्योंकि अयोध्या से मुख्यमंत्री का दिया गया आदेश पूरे यूपी पर प्रभावी होगा. अब इसके बाद नगर निगम बोर्ड की बैठक में इस पर प्रस्ताव लाएंगे और मठ मंदिरों और धर्मशालाओं को टैक्स से जुड़ी बड़ी राहत मिल जाएगी।
नगर निगम से प्रस्ताव पास करेंगे: महापौर
अयोध्या नगर निगम के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय ने कहा, दोबारा भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री का प्रथम आगमन था. मुख्यमंत्री जी स्वयं संत हैं और यह संतों की नगरी है. बहुत दिनों से अपेक्षा थी. मुख्यमंत्री ने सभी अधिकारियों को निर्देश दे दिया है जो मंदिर और धर्मशालाएं हैं, उनसे चैरिटेबल के रूप में टैक्स लिया जाए न कि कमर्शियल टैक्स लें. इससे संतों में खुशी की लहर है और इस को जल्द ही हम लोग सदन में पास करेंगे. अयोध्या में 7 से 8 हजार मठ-मंदिर हैं. हम लोग सदन से सभी का टैक्स माफ करने का प्रस्ताव पास करेंगे।
नगर पालिका में 300 रुपए तक टैक्स लगता था: महंत हनुमान गढ़ी
हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास का कहना है, मैं साधुवाद देता हूं कि मुख्यमंत्री ने आज समीक्षा बैठक में यह दिशा-निर्देश दिया कि सारे मठ मंदिरों से कमर्शियल टैक्स माफ किया जाए। पहले स्थिति यह थी कि सालाना 250-300 रुपए का टैक्स लगता था, जब से नगर निगम हुआ तब से किसी किसी मंदिरों में एक लाख से 3 लाख तक टैक्स देना पड़ता है। इतना टैक्स साधु संत कहां से दे पाते. इस के नाते साधु संतों में अपार पीड़ा थी जिसे आज मुख्यमंत्री ने दूर कर दिया।